दिल्ली शहर हमेशा से स्ट्रीट फूड का हब रहा है. यहां के हर गली हर कूचे में कुछ न कुछ बढ़िया खाने को मिल जाता है. लेकिन, इस मामले में भी टॉप पर है गोलगप्पे. हालांकि पिछले एक दशक में एक नए दावेदार ने गोलगप्पा-चाट को कड़ी टक्कर दी है.
यह कोई और नहीं बल्कि दिल्ली की गलियों में जगह-जगह बिकने वाले मोमोज हैं.
सड़क किनारे मोमो स्टॉल का मालिक कितना कमाता है?
हालांकि, यह पकवान सरल तरीकों के साथ शुरू हुआ था, बस अंदर अलग-अलग तरह के भराव के साथ उबला हुआ मोमो, मगर जल्द ही इसमें बदलाव देखने को मिले. स्टाल मालिकों ने क्लासिक उबले हुए व्यंजनों के कई वर्जन पेश किए.
मलाई मोमोज, तंदूरी मोमोज, फ्राई मोमोज और यहां तक कि चॉकलेट मोमज भी आपको बाजार में मिल जाएंगे. खैर, मोमो स्टॉल की यह सारी बातें इस तरह के स्टॉल को स्थापित करने के पीछे लॉजिस्टिक्स के बारे में एक आश्चर्य पैदा करती हैं और यहां तक कि लोगों को यह जानने के लिए उत्सुक करती हैं कि ये मालिक दिल्ली की सड़कों पर इसे बेचते हुए कितना मुनाफा कमा रहे हैं.
इसे जानने के लिए एक जिज्ञासु YouTuber आराधना चटर्जी, इस बिजनेस से जुड़ी जिज्ञासा को शांत करने के लिए, वह सड़क के किनारे एक मोमो बेचने वाले के पास पहुंची. उन्होंने मोमो स्टॉल के मालिक से बात की, जो करीब 21 साल से इस कारोबार में है.
उस स्टाल वाले बताया, “मुझे हर दिन 300-400 ग्राहक मिलते हैं. एक औसत के मुताबिक, हर ग्राहक स्टॉल पर करीब 40 से 60 रुपये खर्च करता है. मैं अपने स्टॉल को पूरे सप्ताह खुला रखता हूं और 50 रुपये की थाली बेचने पर 10 रुपये कमाता हूं. इसलिए, मेरा मुनाफा मेरी बिक्री का लगभग 20% है.
मासिक लाभ गणना ने लोगों को किया हैरान
मोमो स्टॉल के मालिक द्वारा दी गई जानकारी से अपनी दैनिक कमाई की गणना करते हुए, चटर्जी ने निष्कर्ष निकाला, “20% के लाभ मार्जिन के साथ, वह अपनी कुल 17,500 रुपये की बिक्री से लगभग 3,500 रुपये कमाता है. यह एक महीने में 1,05,000 रुपये है, जो औसत कमाई वाले भारतीय की तुलना में कहीं अधिक है, जो प्रति माह 32,000 रुपये से अधिक कमाते हैं.
इन गणनाओं को जानकार सोशल मीडिया पर कुछ लोगों का कहना है कि वे अपना काम छोड़ एक मोमो स्टॉल खोलेंगे.
एक यूजर ने लिखा ‘भले ही स्टाल मालिक ने ईंधन, बिजली, और इस तरह की छिपी हुई कई लागतों को उजागर नहीं किया.’ बावजूद इसके इस गणना ने लोगों के होश उड़ा दिए. एक दूसरे यूजर ने कहा, “अब तो मोमो ही बेचना है भाई.”