प्रदेश में लंबे इंतजार के बाद फाइनल होने जा रही प्री नर्सरी टीचर की भर्ती के लिए शिक्षा विभाग ने सरकार के सामने चार विकल्प रखे हैं। यह विकल्प केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में चर्चा के बाद चुने गए हैं। इसके बाद सचिवालय स्तर पर एक बैठक हो चुकी है और बैठक शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की सचिव के साथ होनी है। फिर मंत्रिमंडल के सामने इस पॉलिसी को रखा जाएगा। हिमाचल में प्री नर्सरी टीचर्स के 4700 पद पहले चरण में भरे जाएंगे।
नई पॉलिसी के ड्राफ्ट में पहला विकल्प यह है कि रिकॉग्नाइज संस्थाओं से 2 साल का एनटीटी डिप्लोमा करने वाली ट्रेंड मैनपॉवर को रखा जाए या 2014 से पहले का एक साल का डिप्लोमा भी कंसीडर किया जाए। एक साल के डिप्लोमा पर यह शर्त एनसीटीई के भर्ती नियमों के कारण लगानी पड़ रही है। भारत सरकार ने इन नियमों से बाहर जाने के लिए इंकार किया है। इस सुझाव को इसलिए भी मानना पड़ रहा है, क्योंकि प्री नर्सरी टीचर्स की सैलरी भारत सरकार के समग्र शिक्षा प्रोजेक्ट से आएगी।
दूसरा विकल्प आंगनबाड़ी वर्करों को 6 महीने का ब्रिज कोर्स कर यह काम देने का है। आंगनबाड़ी को प्री नर्सरी टीचर भर्ती में इसलिए लेना पड़ रहा है, क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने यह प्रावधान दिया है। इसके तहत आंगनबाड़ी वर्करों को 6 माह का ब्रिज कोर्स करवाया जाएगा और उनके लिए यह प्रमोशन पोस्ट होगी। हालांकि इस विकल्प पर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की सचिव के साथ एक बैठक होनी है। क्योंकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशासनिक विभाग सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता महकमा है।
तीसरा विकल्प वर्तमान में मौजूद जेबीटी अभ्यर्थियों को प्री नर्सरी टीचिंग में लेने को प्रस्तावित किया गया है। चौथे विकल्प के तौर पर शिक्षा विभाग अपने डाइट में 2 साल का डिप्लोमा शुरू करे। इसके लिए सिलेबस तैयार करने का काम शुरू हो चुका है और शिक्षा मंत्री ने एससीईआरटी सोलन को इस बारे में मदद करने को कहा है। कैबिनेट में जाने से पहले चारों विकल्पों पर सचिवालय के स्तर पर चर्चा चल रही है।