राजधानी के दूसरे बड़े अस्पताल में आई फ्लू के रोजाना 8 से 10 मामले सामने आ रहे है। अगस्त माह मेें दिन दयाल अस्पताल में आई फ्लू के 500 मामले आए है। अस्पताल में आई फ्लू के ज्यादातर मामले शिमला के आस- पास के क्षेत्रों से आ रहे है। रिपन अस्पताल में आने वाले आई फ्लू के मामलों में वह मरीज ज्यादा है, जिनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री है। इन संक्रमितों में ज्यादातर मरीज शिमला में बाहर से आने वाले लोग है।
आई फ्लू का वायरस आंख से निकलने वाले पानी से फैलता है। इस वायरस से संक्रमितों को अपने आप को परिवार के सदस्यों से अलग रखना चाहिए। वायरस से संक्रमित होने के बाद घर से बाहर जाने से बचना चाहिए। जिससे संक्रमण की चपेट में अन्य लोग न आ पाए। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की आंख में देखने से नहीं फैलता है। यह धारणा गलत है। इस वायरस से बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति का तौलिया, तकिया आदि इस्तेमाल न करें। इस वायरस से बचने के लिए हाथों को सैनिटाइज करें या बार- बार धोए। यह वायरस जानलेवा नहीं है। इस वायरस से आंखों को कोई भी गंभीर नुकसान नहीं पहुंचता है। यह वायरस 5 से 6 दिनों में खुद ही ठीक हो जाता है।
आई-फ्लू से बचने के लिए हाथों को बार- बार सेनेटाइज करना चाहिए। इस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों को इस्तेमाल करने से बचे। इस वायरस के लिए कोई विशेष दवा नहीं है। आंख दर्द होने की स्थिति में मरीजों को अन्य दवाइयां दी जाती है। डॉक्टरों की परामर्श के बिना कोई दवा इस्तेमाल न करें। यह वायरस एक हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाता है।