कूनो नेशनल पार्क के बाड़े में छोड़े गए नामीबिया से लाए चीतों को नई जगह की वजह से काफी परेशानी हो रही है. उनके लिए ये जंगल नया होने के कारण उनके रहन-सहन और व्यवहार को लेकर चिंता जताई जा रही थी. इस स्थिति में एक हाथी को इन चीतों के रक्षक के रूप में इस जंगल में लाया गया है. इस हाथी का नाम सिद्धनाथ है.
सिद्धनाथ करेगा कूनो के चीतों की सुरक्षा
सिद्धनाथ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में सतपुड़ा के हाथी परिवार का सबसे बुजुर्ग सदस्य है. सिद्धनाथ बेहतरीन हाथियों में गिना जाता है और ये सतपुड़ा में कई रेस्क्यू ऑपरेशन में अपनी काबिलियत दिखा चुका है. सिद्धनाथ की इन्हीं खूबियों की वजह से उसे चीतों की मॉनिटरिंग के लिए चुना गया है. सिद्धनाथ को जंगली रास्तों की अच्छी जानकारी है. वह सतपुड़ा की सभी बीटों में टाइगर मॉनिटरिंग और रेस्क्यू करता रहा है.
11 महीनों से संभाल रहा अपनी जिम्मेदारी
जैसे ही सिद्धनाथ कूनो पार्क पहुंचा वैसे ही चीतों की मॉनिटरिंग होने लगी. गश्ती दल के साथ चीतों के आसपास रह कर उनकी निगरानी करने वाला सिद्धनाथ लगभग 11 महीने से चीतों की जिम्मेदारी बखूबी संभाल रहा है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के प्रबंधन के अनुसार, सिद्धनाथ हाथी वन्य प्राणी प्रबंधन के लिए बहुत खास है. उसने कई जटिल रेस्क्यू ऑपरेशन भी पूरे किए हैं. यह टाइगर मॉनेटरिंग के लिए उपयोगी है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में जितने नए टाइगर दूसरे पार्कों से लाए गए हैं. उनकी मॉनिटरिंग सिद्धनाथ ने की है. चीतों की सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद उसे वापस सतपुड़ा टाइगर रिजर्व लाया जाएगा.
इससे पहले संजय टाइगर रिजर्व में संभाल रहा था जिम्मेदारी
सतपुड़ा का सिद्धनाथ कूनो लाने से पहले संजय टाइगर रिजर्व में छोड़े गए टाइगरों की मॉनिटरिंग कर चुका है. चीतों को भारत लाने के पहले प्रयोग के साथ उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी एक चुनौती रही है. सिद्धनाथ सितंबर 2022 से कूनो में नामीबिया के चीतों की मानिटरिंग कर रहा है. जिसकी वजह से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को वाइल्डलाइफ के क्षेत्र में एक नई पहचान मिली है.
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में हाथियों का हॉलिडे होने पर सिद्धनाथ को स्पा दिया जाता था. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एलकृष्णमूर्ति के मुताबिक, स्थिति सामान्य हो जानी के बाद सिद्धनाथ को वापस सतपुड़ा टाइगर रिजर्व भेज दिया जाएगा.