Story of Ashok Masale: छोटे शहर से निकला वो Masala Brand जो देश की रसोई का किंग बना, कभी साइकिल से चलते थे अरुण गुप्ता

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भारत में जब भी मसाले कंपनी का नाम आता है. अशोक मसाले (Ashok Masale) का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. जो आज महानगरों-कस्बों और गांवों तक अपनी पहचान बना चुका है. आज यह कंपनी लगातार तरक्की कर रही है. इस कंपनी की स्थापना साल 1957 में हुई थी.

अशोक, मसालों की मार्केटिंग करने वाली पहली ऐसी कंपनी थी, जिसने छोटे पाउच मार्केट में उतारे. जिसे लोगों ने स्वीकार किया और कुछ ही समय में इसने मसाला बाजार के कारोबार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा दी. आज यह देश के प्रमुख राज्यों यूपी, उत्तराखंड, एमपी, बिहार, झारखंड, नई दिल्ली, असम, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के हर घर में रसोई का किंग बन चुका है.

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मगर इसकी कामयाबी के पीछे अशोक मसाले के निदेशक अरुण गुप्ता का बहुत बड़ा हाथ है. जिन्होंने काफी संघर्ष किया. फिर अपनी मेहनत के दम पर कंपनी को नै ऊँचाइयों तक ले गए. आज कंपनी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है. चलिए इसके सफर पर एक नजर डालते हैं.

छोटे पाउच लॉन्च करने के पीछे क्या था मकसद?

अशोक मसाले के निदेशक अरुण गुप्ता ने हिन्दुस्तान को दिए अपने इंटरव्यू में बताया था कि अशोक मसाला बाजार में छोटे पाउच क्यों लेकर आया. उन्होंने कहा कि हम गरीबों और मजदूरों के खाने में मसालों का स्वाद देना चाहते थे. इसलिए हमने गरीबों, दिहाड़ी मजदूरों और कम आमदनी वाले लोगों को देखते हुए छोटे-छोटे पाउच लाने का फैसला किया, ताकि अशोक मसाले को सभी वर्ग के लोग अपने खाने में इस्तेमाल कर सकें और उन्हें स्वादिष्ट खाना मिल सके. कंपनी की यह रणनीति काम कर गई और कंपनी को इससे काफी फायदा भी हुआ.

Ashok MasaleAshok Masale

कैसे पड़ी अशोक मसाले की नींव?

अशोक मसाले ने 14 दिसंबर 1957 को कानपुर के किदवई नगर में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया था. इसका आयोजन भारत सेवक समाज के माध्यम से किया गया था. यहीं से देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में मसाला उद्योग की नींव पड़ी.

किशोरी लाल गुप्ता ने अपने छोटे भाई राम किशोर गुप्ता के साथ अशोक मसाला समूह की स्थापना की और फिर अशोक सब्जी मसाला के छोटे पाउच पेश करके, अशोक समूह ने मसाला उद्योग में अपनी एक ऐतिहासिक पहचान बना ली. आज यह भारत के हर घर में पहुंच गया है. अशोक समूह गुणवत्ता और शुद्धता में विश्वास करता है.

साल 1980 में अरुण गुप्ता कंपनी की प्रोडक्शन टीम से जुड़े और उसके बाद कंपनी ने नई ऊंचाईयों को छुआ. उनके पिता स्वर्गीय रामकिशोर गुप्ता ने इस कंपनी को बहुत छोटे पैमाने पर शुरू किया था. कंपनी से जुड़ने पर अरुण ने उसकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया. कंपनी आज बाजार में हर तरह के मसाले उपलब्ध कराती है. इसमें वेज से लेकर नॉन वेज या स्ट्रीट फूड में इस्तेमाल होने वाले मसाले हैं.

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साइकिल से कार तक का सफर आसान नहीं था

अरुण गुप्ता की शुरूआती शिक्षा कानपुर के हिंदी मीडियम स्कूल से हुई. उसके बाद विज्ञान से बीएससी करने के बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की. साल 1980 में वे अशोक मसले की प्रोडक्शन टीम का हिस्सा बने और यह सफर आज भी जारी है. उसी साल उन्होंने शादी भी कर ली. उनकी पत्नी कानपुर के चार्टर्ड अकाउंटेंट परिवार से हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स को दिये अपने इंटरव्यू में अपने शुरुआती जीवन को याद करते अरुण गुप्ता बताते हैं कि शुरुआती दिनों में उन्होंने प्रोडक्शन टीम के साथ काम के सिलसिले में कई रातें जागकर बिताईं. साइकिल से खुद की कार तक का सफर इतना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हर दिन कड़ी मेहनत की और कंपनी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की सोचते रहे.

अशोक मसालों की यूएसपी क्या है?

वर्तमान में, अशोक मसाले की USP है Easy to Cook Spices. दरअसल, ऐसे मसालों की खासियत यह होती है कि आप जो भी डिश बनाना चाहते हैं, उसकी रेसिपी में अपने स्वाद के अनुसार नमक का इस्तेमाल करें. इसके बाद वह वस्तु आसानी से बनकर तैयार हो जाती है. कंपनी का यह आइडिया मार्केट में काफी सफल रहा. अब कंपनी रेडी टू ईट पर काम कर रही है, इसमें तरह-तरह के स्नैक्स और सूप मिक्स करने की सुविधा होगी.

बहरहाल, अशोक मसाला समूह कई प्रकार के मसालों का उत्पादन करता है जैसे दाल मसाला, बिरयानी मसाला, रायता मसाला, पावभाजी मसाला, चना मसाला, गरम मसाला, सांभर मसाला, चाट मसाला, मीट मसाला, जलजीरा मसाला, शिकंजी मसाला, सब्जी मसाला, अचार मसाला गोलगप्पा मसाला, शाही पनीर मसाला, राजमा मसाला, दाल मखनी मसाला, सलाद मसाला.

शिक्षा और अन्य क्षेत्र में सामाजिक कार्य

वहीं अरुण गुप्ता का कहना है कि शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है, जिससे समाज की रीढ़ को मजबूत बनाया जा सकता है. इसी उद्देश्य से वे और उनकी कंपनी जरूरतमंद बच्चों के बीच समय-समय पर किताब-कॉपी, यूनिफॉर्म आदि का वितरण करती रहती है. उन्होंने कई बच्चों को निजी तौर पर भी गोद लिया है. शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन्होंने एकल अभियान से जुड़कर 40 विद्यालय स्थापित करने में मदद की है, जिससे आज लाखों बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं.

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यही नहीं कोविड काल में जब सारी दुनिया एक हो गई थी, सब एक दूसरे की मदद कर रहे थे. उन दिनों भी अशोक मसाला ब्रांड और उनके निदेशक अरुण गुप्ता अपनी निस्वार्थ सेवा के कारण लोगों के बीच चर्चा में रहे. उन्होंने लोगों की मदद के लिए मुफ्त राशन बांटा, जरूरतमंदों को खाना खिलाया, दवाइयां बांटी और मसालों के छोटे-छोटे पैकेट भी बांटे.

क्या है उनकी कामयाबी का राज?

उनका मानना है कि आपकी जीत और हार आपकी सोच पर निर्भर करती है. यदि आप स्थिति को स्वीकार करते हैं और कुछ नहीं करते हैं, तो आप हार जाएंगे और यदि आप इसका सामना करने का निर्णय लेते हैं, तो आप निश्चित रूप से जीतेंगे. इसलिए, जीवन को खुलकर जिएं और जीवन में आने वाली बाधाओं से घबराएं नहीं, बल्कि डटकर उनका मुकाबला करें. अगर कोई गलती हो भी जाए तो उसे सुधारें और आगे बढ़ें. इस मंत्र को जीवन में अपनाने से सफलता निश्चित है.