नगर निगम शिमला के पूर्व उपमहापौर टिकेंद्र पंवर मानसून सीजन में आए विनाश को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए 24 घंटे की भूख हड़ताल पर ऐतिहासिक रिज मैदान पर बैठ गए हैं। उनका मानना है कि यह विनाश पहाड़ों और प्रकृति के साथ मानव के द्वारा किए गए छेड़छाड़ का नतीजा है। जिसके बाद हिमालय में अपनाए जा रहे विकास के इस मॉडल पर अब पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
टिकेंद्र पंवर ने बताया कि यह विनाश मानव रचित है। हिमालय बचेगा या नहीं यह अब इस बात पर निर्भर करता है कि हम विकास का कौन सा रास्ता अपनाएंगे। यह देखने की जरूरत है कि हिमाचल जैसे प्रदेश में किन चीजों की जरूरत है और किस की नहीं। फोरलेन का निर्माण यहां लोगों को लाने के लिए किया गया, लेकिन आज एक भी पर्यटक या अन्य लोग नहीं आ पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि निर्माण में बरती गई अनियमितताओं के लिए एनएचआई और निर्माण कंपनियों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। नुकसान का आकलन करने के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया जाना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार इस तरह कि बारिश पहले सौ साल में एक बार होती थी, लेकिन अब ऐसा हर साल होगा। हर जगह हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट लगाने की बात की जा रही है। विकास का रास्ता जो अपनाया जा रहा है उस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।