शिमला के IIAS से आया था समरहिल का सैलाब, संस्थान के परिसर को भी पैदा हुआ खतरा

शिमला के समरहिल शिव मंदिर में हुई तबाही की शुरुआत भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (Indian Institute of Advanced Study) से हुई थी। जब पूरा मलबा लैंडस्लाइड के साथ शिव मंदिर को बहाकर अपने साथ ले गया। अब भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के परिसर को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। संस्थान के पिछली साइड लैंडस्लाइड से पूरी दीवार गिर गई है। कई जगह दरारें आ गई हैं। साथ ही संस्थान के आगे के परिसर भी जमीन धंस गई है और आगे का डंगा धंसने की कगार पर है।

बीते दिनों की भूस्खलन की घटना में करीब डेढ़ सौ साल पुरानी एडवांस स्टडी की बिल्डिंग के आसपास जमीन धंसनेसे भवन भी खतरे की जद में है। मौके का एसडीएम शिमला भानु गुप्ता ने जायजा लिया है। उन्होंने बताया कि जमीन धंसने के साथ भवन के परिसर में भी दरारें आ गई है, जिसको लेकर नगर निगम शिमला को सूचित कर दिया गया है। एसडीएम ने बताया कि वाटर टैंक फटने की बात सामने आई थी, जिसमें कोई सच्चाई नहीं है। मौके पर ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया है।

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (IIAS) जो कि शोध संस्थान है। यह संस्थान 1964 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया था। इस संस्थान में  20 अक्टूबर 1965 से काम करना शुरू कर दिया गया था। अंग्रेजी हुकूमत ने इस आलीशान इमारत को 1884-1888 से भारत के वायसराय लॉर्ड डफरिन के घर के रूप में बनाया गया था। जिसे वाइसरीगल लॉज के रूप में जाना जाता था। लोक निर्माण विभाग के एक वास्तुकार हेनरी इरविन ने डिजाइन किया था। वाइसरीगल लॉज प्रदेश का ऐसा पहला संस्थान है, जिसमें बिजली थी।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इमारत में कई ऐतिहासिक निर्णय किए गए हैं। 1945 में शिमला सम्मेलन इसी भव्य इमारत में आयोजित किया गया था। भारत से पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान को बनाने का निर्णय 1947 में भी इसी जगह लिया गया था। 1947 भारत की आज़ादी के बाद इसे राष्ट्रपति निवास बनाया गया, लेकिन बाद में 20 अक्तूबर, 1965 को इस भवन को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के रूप में तब्दील कर दिया गया।

राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस इमारत को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान का दर्जा दिया था। एडवांस स्टडी शोधकर्ताओं के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।