जिन चीड़ की पत्तियों को जंगलों के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक माना जाता है, उन्हीं चीड़ की पत्तियों से महिलाएं ऐसे-ऐसे उत्पाद बना रही हैं जिनके बारे में शायद कोई सोच भी नहीं सकता। रक्षा बंधन का त्यौहार नजदीक आ रहा है तो ऐसे में मंडी शहर निवासी संतोष सचदेवा ने इन चीड़ की पत्तियों का बेहतरीन इस्तेमाल करते हुए इसकी राखियां बना दी हैं।
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संतोष सचदेवा वर्ष 1996 से आर्ट एंड क्राफ्ट का काम कर रही हैं और नैना आर्ट के नाम से स्वयं सहायता समूह का संचालन कर रही हैं। संतोष सचदेवा ने बताया कि उनके द्वारा बनाए जाने वाले नए-नए उत्पादों को काफी पसंद किया जाता है। इसी के चलते उन्हें निफ्ट कांगड़ा और लक्कड बाजार शिमला से चीड़ की पत्तियों की राखियां बनाने का ऑर्डर मिला। किसी ने कभी सोचा नहीं था कि चीड़ की पत्तियों की राखियां बनाई जा सकती हैं लेकिन जब ऐसा कुछ करने का मौका मिला तो इसमें हुनर दिखाने का प्रयास शुरू हुआ।
संतोष सचदेवा ने बताया कि वे अभी तक निफ्ट कांगड़ा को 200 और शिमला को 2500 राखियां भेज चुकी हैं। दोनों ही जगहों से राखियों की डिमांड आई है। संतोष ने सरकार और प्रशासन से मांग उठाई है कि लोकल स्तर पर इन राखियों को बेचने के लिए मंच मुहैया करवाया जाए तो यहां पर भी इनकी खूब बिक्री हो सकती है।
चीड़ की पत्तियों से बनाई जा रही राखियों में रेशम के धागे और पूजा के दौरान बांधे जाने वाले रक्षा सूत्र के धागे के साथ रूद्राक्ष का इस्तेमाल किया जा रहा है। रूद्राक्ष वाली राखी 50 तो बीना रूद्राक्ष वाली राखी 30 रूपए में बिक रही है। संतोष के साथ इस कार्य में जिला भर की 30 महिलाएं जुटी हैं जो अपने घरों पर ही इन्हें बनाकर आजीविका कमा रही हैं।
बता दें कि आर्ट एंड क्राफ्ट के साथ जुड़ी संतोष सचदेवा आज दिन तक हजारों महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के साथ जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बेहतरीन कार्य कर चुकी हैं और कर रही हैं। नए-नए उत्पाद बाजार में आने से लोग भी इनके प्रति आकर्षित होते हैं और पर्यावरण को भी इससे लाभ मिलता है।