भोपाल में 83 वर्षीय पद्मश्री ‘विद्यानंद सरैक’ ने हाटी लोकनृत्य से बांधा समां, राष्ट्रपति ने की सराहना…

आसरा संस्था (Aasra) के प्रभारी इंडिया और एशिया बुक रिकॉर्ड (Asia Book of Record) होल्डर जोगेंद्र हाब्बी ने प्रेस को जारी बयान में बताया कि मध्य प्रदेश के भोपाल (Bhopal) स्थित रविंद्र भवन के हंस ध्वनि सभागार में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत 3 से 5 अगस्त तक उन्मेष व उत्कर्ष उत्सव का आयोजन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत केन्द्रीय साहित्य अकादमी व संगीत नाटक अकादमी (CSASNA) द्वारा मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के सहयोग से किया गया।

एशिया के सबसे बड़े साहित्य उत्सव उन्मेष व भारत की लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों के राष्ट्रीय उत्सव ‘उत्कर्ष’ का शुभारंभ मुख्य अतिथि माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया गया। इस मौके पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय साहित्य अकादमी अध्यक्ष माधव कौशिक, संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्षा डॉ संध्या पुरेचा आदि गणमान्य उपस्थित रहे। इस लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों के उत्सव ‘उत्कर्ष’ में छत्तीस राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के सात सौ पचास से अधिक कलाकारों ने भाग लिया।

आसरा संस्था के गुरु पद्म श्री विद्यानंद सरैक व जोगेंद्र हाब्बी के निर्देशन में तैयार किए गए लोक नृत्यों को आसरा संस्था के 20 कलाकारों ने जनजातीय उत्सव (tribal festival) में प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। 83 वर्षीय पद्मश्री विद्यानंद सरैक (Padmashree Vidyanand Saraik) के नृत्य अंदाज ने दर्शकों को अचंभित किया और युवा कलाकारों को भी इस उम्र में नृत्य की प्रस्तुति देखकर बड़ी प्रेरणा मिली। आसरा संस्था के कलाकारों ने इस उत्सव में हाटी जनजातीय समुदाय के महाभारत काल से जुड़ा आदिकालीन ठोडा नृत्य, रिहाल्टी गी, परात नृत्य, रासा नृत्य व देव परंपरा से जुड़ा लगभग पांच सौ साल पुराना सिंहटू नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों की भरपूर तालियां बटोरी। जनजातीय नृत्यों की श्रृंखला में हाटी जनजातीय समुदाय की हाटी की नाटी की प्रस्तुति बहुत ही आकर्षक रही।

आसरा संस्था के कलाकार

माननीय राष्ट्रपति महोदया ने अपने संबोधन में इस उत्सव के आयोजन की खूब सराहना की उन्होंने कहा की भारत में सात सौ से ज्यादा समुदाय के आदिवासी बसते हैं जिनकी संस्कृति को संजोकर रखना हम सब का कर्तव्य है। जब भारत का जनजातीय समाज उन्नत हो जाएगा तभी भारत एक विकसित राष्ट्र के रूप में पूरी दुनिया में उभर कर सामने आएगा। हम आज अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं। जनजातीय संस्कृति का आगे और अधिक विकास होगा परन्तु तब तक इसका संरक्षण करना तथा इसे संजोए रखना हम सबका दायित्व है।

इस जनजातीय उत्सव में आसरा के कलाकारों की प्रस्तुति की सभागार में बैठे सैकड़ों दर्शकों ने भरपूर सराहना की और कलाकारों की प्रस्तुति पर जमकर तालियां बरसाई। संगीत नाटक अकादमी द्वारा आसरा संस्था के गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक को मंच पर सम्मानित किया तथा अन्य सभी कलाकारों को भी स्मृति चिन्ह भेंट किए। आसरा संस्था के कलाकारों में पद्मश्री विद्यानंद सरैक व जोगेंद्र हाब्बी के अलावा गोपाल हाब्बी, राम लाल वर्मा, धर्मपाल चौहान, चमन, अमीचंद, जितेंद्र, मनमोहन, सुनील, संदीप, हंसराज, मुकेश, कृष्ण, सरोज, अनु, बिमला, ज्योति, देवेश्वरी, रक्षा आदि शामिल थे।