जुनूनी इंसान कुछ भी कर सकता है. उसका जुनून राह में आने वाली किसी भी कठिनाई को नहीं देखता. यही जुनून किसी भी इंसान को उसका लक्ष्य प्राप्त करने की ताकत देता है. बिहार के सहरसा के अंदर भी ऐसा ही जुनून भरा पड़ा है जो उन्हें अपनी विपरीत परिस्थितियों को नजरंदाज कर आगे बढ़ते रहने की हिम्मत देता है.
संघर्ष के बाद अब पर्वतों को फतह कर रही लक्ष्मी
ये कहानी है सहरसा की बेटी लक्ष्मी झा की, जिन्होंने मात्र दो घंटे में उत्तराखंड के चंद्रशिला नाम से विख्यात 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चंद्रशिला मंदिर पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर तिरंगा फहराया है. लक्ष्मी ने इसी साल दक्षिण अफ्रीका के सबसे ऊंचे पहाड़ किलिमंजारो पर तिरंगा लहराया था. आज लक्ष्मी दुनिया भर के पहाड़ों को फतह करने का मादा रखती हैं और नए कीर्तिमान रचने की तैयारी में हैं. लेकिन उनके यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा. उन्होंने जीवन में कठिनाइयों के पहाड़ चढ़े जिसकी वजह से आज उन्हें दुनिया के पहाड़ भी छोटे दिख रहे हैं.
बचपन में पिता को खो दिया
लक्ष्मी की मां सरिता देवी ही वो कारण हैं जिनकी वजह से लक्ष्मी आगे बढ़ पाईं. छोटी सी उम्र में लक्ष्मी ने अपने पिता विनोद झा को खो दिया. पिता की मौत के बाद चार बच्चे और बीवी पीछे छूट गए, जिनकी रोजी-रोटी की व्यवस्था भी बड़ा सवाल बन गई. कोई सहारा ना देख मां ने ही परिवार के भरण-पोषण का जिम्मा उठाया और गांव के ही कई घरों में चूल्हा-चौका संभालने का काम कर परिवार पालने लगी.
समय के साथ चीजें कुछ बदलनी शुरू हुईं. लक्ष्मी के बड़े भाई श्याम ने गांव में ही किताब की दुकान खोल ली, जबकि सब भाई बहनों में छोटी लक्ष्मी ने पढ़ाई जारी रखी. जिसके बाद उन्हें मन में यह ख्याल आया कि क्यों ना माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर तिरंगा झंडा लगाया जाए.
मां के सहयोग ने दी हिम्मत
लक्ष्मी का कहना है कि इस कामयाबी का श्रेय उनकी मां को जाता है. उन्होंने बताया कि अगर मां का सहयोग नहीं मिलता, तो उसका इस मुकाम तक पहुंचना संभव नहीं था. लक्ष्मी ने आगे बताया कि वह आगे ब्लैक माउंटेन पर चढ़ाई करने का प्लान बना रही हैं, जिसकी ऊंचाई साढ़े 6 हजार मीटर है. बता दें कि लक्ष्मी अगले साल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर अपना सपना पूरा करने की तैयारी में हैं. वह हर तरह से इसकी तैयारी में जुटी हुई हैं. लक्ष्मी ने कहा कि अगर बेटियों को सरकार का सहयोग मिलता रहे तो बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का दम रखती हैं.