26 जुलाई की तारीख हर साल करगिल विजय दिवस के रूप में याद की जाती है. इन दिन करगिल युद्ध में देश के कई जांबाज अपने वतन पर मर मिटे थे. आज हम आपके लिए एक ऐसे ही बलिदानी बेटे उदय मान सिंह की कहानी लेकर आए हैं, जिसकी मां आज भी उसके नाम का खाना निकालती है. उदयमान का जन्म जम्मू-कश्मीर के शामा चक्क में 1978 को ओंकार सिंह और कांता देवी के परिवार में हुआ था. उनकी दो बड़ी बहनों के छोटे भाई थे.
शहीद बेटे के लिए मां आज भी निकालती है खाना
उदय मान बचपन से ही सेना में सेवा करना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और अठारह साल की उम्र में अपना लक्ष्य हासिल कर लिया. जानकारी के मुताबिक वो 26 अगस्त, 1996 को भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. ट्रेनिंग समाप्त होने पर उन्हें 18 ग्रेनेडियर यूनिट में तैनाती मिली थी. जिस वक्त उनको पोस्टिंग मिली उस दौरान उनकी यूनिट गंगानगर में थी. इसके बाद उनकी यूनिट को कश्मीर भेजा गया था.
कारगिल युद्ध के बलिदानी उदय मान सिंह की शौर्य गाथा
कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें 4 जुलाई, 1999 को पाकिस्तानी फौज को रोकने की जिम्मेदारी दी गई थी. उनकी यूनिट को दो अन्य बटालियनों के साथ टाइगर हिल पर दोबारा कब्जा करना था. इसके लिए उदय अपनी यूनिट के साथ रात के अंधेरे में रस्सियों की मदद से दुर्गम चढ़ाई चढ़कर चोटी तक पहुंचे, और पांच जुलाई की सुबह विरोधियों से सीधा मुकाबला किया. इसी दौरान एक गोली उदय के सीने में लगी और वो शहीद हो गए थे.
उदय मान सिंह की मां जैसा ही है प्रेमपाल सिंह की मां का हाल
ग्रेनेडियर उदयमान सिंह की मां की तरह कागरिल युद्ध में वतन पर मर मिटने वाले प्रेमपाल सिंह की याद में उनकी मां वीरवती देवी हर रोज अपने बेटे के लिए दोनों वक्त खाने की थाली परोसती है. उनका मानना है कि उनका बेटा प्रेमपाल आज भी जिन्दा है. प्रेमपाल का जन्म अलीगढ़ की इगलास तहसील में गोरई क्षेत्र के गांव खेमकवास में हुआ था.प्रेमपाल सिंह का साहस और पराक्रम के किस्से आज भी लोग अपनी जुबान पर रखते हैं.
कारगिल युद्ध के शहीदों ने जिस तरह से मातृभूमि का कर्ज अपने प्राण देकर चुकाया. उसे न तो भारत मां भूलेगी और न ही जन्म देने वाली उनकी मां. भारत के वीर शहीदों को शत्-शत् नमन.