कांगड़ा जिला में मानसून सीजन (Monsoon season) में 15 सितंबर तक ट्रैकिंग (trekking) पर पूर्णतयः रोक लगा दी गई है। इस बाबत आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के सेक्शन 34 के तहत जिला दंडाधिकारी डॉ. निपुण जिंदल ने आदेश जारी किए हैं। इसमें कांगड़ा जिला में 1500 मीटर तक की उंचाई वाले स्थानों में ट्रैकिंग जैसी गतिविधियां बंद रहेंगी।
जिला दंडाधिकारी ने कहा कि पुलिस प्रशासन व संबंधित उपमंडल अधिकारियों को आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही जिला पर्यटन विकास अधिकारी को सभी होटल संचालकों तक इन आदेशों की जानकारी पहुंचाने के लिए कहा गया है, ताकि किसी भी स्तर पर पर्यटक ट्रैकिंग साइट्स (Tourist Trekking Sites) की तरफ रूख नहीं करें।
बारिश के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन का रहता है खतरा
उपायुक्त (DC) डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि बारिश के कारण ऊंचे स्थानों पर भूस्खलन (landslide) का खतरा बना रहता है। इस बाबत पहले भी मानसून के दौरान ट्रैकर्स अपनी जान को जोखिम में डाल चुके हैं। कई बार प्रशासन ने ट्रैकिंग के दौरान ऊंचे स्थानों पर फंसे लोगों को भारी मशक्कत के साथ निकाला भी है। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह अप्रिय घटना न हो इसके कारण ही ट्रैकिंग पर प्रतिबंध लगाया है।
नदियों-नालों के पास जाने से भी करें गुरेज
डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि बारिश के चलते नदियों, नालों व खड्डों के आस-पास भी लोगों को नहीं जाने की हिदायतें दी गई हैं। मानसून के चलते कांगड़ा जिला में नदियों व खड्डों में अचानक जल स्तर बढ़ने का खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि सभी उपमंडलाधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि खड्डोें, नदियों व नालों के आस-पास बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील जगहों पर झुगी, झोंपड़ियों को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए। उन लोगों की पुनर्वास की उचित व्यवस्था की जाए।
नियमित तौर पर भेजें नुकसान की रिपोर्ट
उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि जिला में बारिश से हो रहे नुकसान की रिपोर्ट त्वरित भेंजें। प्रभावित लोगों को फौरी राहत भी तुरंत उपलब्ध करवाने के लिए कारगर कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि प्रभावित परिवारों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं झेलनी पड़े। उन्होंने कहा कि राजस्व अधिकारियों विशेष तौर पर पटवारियों (Patwaris) को फील्ड (Field) में नुक्सान का जायजा लेने तथा फौरी राहत (relief fund ) के लिए उपलब्ध रहने के लिए कहा गया है।