बेटे के 10वीं में 35% अंक आने पर परिवार ने गर्व से मनाया जश्न, पूरी कहानी जान आप भी देंगे बधाई

10वीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा परिणाम की घोषणा अक्सर छात्रों और उनके माता-पिता के लिए बहुत अहम होती है. परिजनों को अक्सर अपने बच्चे से बेहतर परिणाम की उम्मीद रहती है और बच्चे की सफलता देखने के लिए वे उत्सुक रहते हैं. परिजनों की यही अपेक्षा बच्चों पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव बनाती है और कई बच्चे सबकुछ भूल कर बड़े जुनून के साथ पढ़ाई में जुट जाते हैं.

बेटे के कम नंबर लाने पर भी खुश है ये परिवार

Times of IndiaTimes of India

बच्चों के परीक्षा परिणाम अच्छे ना होने पर अधिकतर माता पिता उन्हें डांटते हैं या उनसे नाराज हो जाते हैं. लेकिन ठाणे, महाराष्ट्र का कराड परिवार ऐसे माता-पिता से बहुत ही अलग है. अन्य परिजनों की तरह इन्होंने बोर्ड परीक्षा परिणामों में अपने बच्चे पर उच्च अंक और अकादमिक उत्कृष्टता लाने का दबाव नहीं बनाया. एक तरफ जहां कई माता-पिता अपने बच्चों से अत्यधिक अपेक्षाएं रखते हैं, अक्सर संतोषजनक परिणामों की उम्मीद करते हैं, वहीं, कराड परिवार इन सबसे अलग है. उन्होंने ये समझा कि केवल परीक्षा पास करना भी बहुत मायने रखता है. उन्होंने जश्न मनाने के लिए अपने बेटे के उच्च अंक आने का इंतजार नहीं किया, बल्कि कम अंकों से पास होने पर भी जमकर जश्न मनाया.

35% अंक लाने पर भी परिवार को है गर्व

टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक मराठी मीडियम स्कूल के छात्र विशाल कराड ने अपनी एसएससी परीक्षा में सभी छह विषयों में न्यूनतम अंक प्राप्त करते हुए 35% अंक से परीक्षा पास की है. अमूमन इतने अंक पाने वाले बच्चों को घर से खूब डांट पड़ती है लेकिन विशाल इस मामले में खुशकिस्मत रहे. इतने कम अंक प्राप्त करने के बावजूद उनके माता-पिता बहुत खुश हैं और उन्हें अपने बेटे पर गर्व है.

परिजनों का मानना है कि विशाल अपने जीवन में पहले ही कई चुनौतियों का सामना कर चुका है. उसके लिए शिक्षा पाना भी एक कठिन लड़ाई लड़ने जैसा रहा है. दरअसल, विशाल के पिता एक ऑटोरिक्शा चालक हैं, और उसकी मां लोगों के घरों में काम करती हैं. जब विशाल ने 10वीं कक्षा की शिक्षा शुरू की उसी दौरान उसके परिवार को उथलसर से ठाणे आना पड़ा. इसके बाद परिवार को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा. फिर भी उनके पिता ने अपने अटूट दृढ़ संकल्प के दम पर विशाल को कठिनाइयों के बावजूद स्कूल भेजा.

बहुत कठिन था विशाल के लिए ये सफर

Who Is The Real Ayasha? Two Women From MP With Same Name Claim 184th Rank In UPSC Examunsplash

विशाल के लिए सफलता का मार्ग बहुत कठिन था. पहले से ही सामने आई बाधाओं को देखते हुए, विशाल को ये भी यकीन नहीं था कि वह परीक्षा पास कर पाएंगे. लेकिन उनके माता-पिता ने उनका बहुत समर्थन किया और उन्हें प्रोत्साहन देकर दृढ़ रहने की ताकत दी. माता-पिता के अटूट विश्वास ने ही विशाल की क्षमता को बढ़ाया और उनके दृढ़ संकल्प के पीछे की प्रेरक शक्ति बना.

साधारण पृष्ठभूमि से होने के बावजूद, विशाल के पास न केवल अपने जीवन बल्कि अपने माता-पिता के जीवन को बेहतर बनाने की असाधारण महत्वाकांक्षा हैं. वह अपनी शिक्षा को जारी रखने का सपना देख रहा है. उसे यकीन है कि उसका 10वीं कक्षा को पास करना उसके मेहनती और सहायक माता-पिता को बेहतर भविष्य प्रदान करने के लिए एक उपयोगी कदम साबित होगा.

विशाल के पिता ने कहा, “कई माता-पिता अपने बच्चों के उच्च अंक का जश्न मना रहे होंगे, लेकिन हमारे लिए विशाल के 35% अंक भी बहुत मायने रखते हैं, क्योंकि उसने अपनी एसएससी परीक्षा पास करके हमें गौरवान्वित किया है.” कराड परिवार की ये कहानी हमें यही सीख देती है कि हमेशा अच्छे अंक से सफलता को नहीं मापा जा सकता, छात्रों के प्रयास, उनका विकास और उनकी मेहनत भी बहुत मायने रखती है.