सोलन जिले में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स (CHOs) और एएनएम के लिए चाइल्ड डेथ रिव्यू से संबंधित एक विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को निर्धारित प्रपत्रों को सही ढंग से भरने और डेथ ऑडिट की निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के बारे में जागरूक करना था।
चाइल्ड डेथ ऑडिट किसी भी पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे की मृत्यु के मामलों में अनिवार्य रूप से किया जाता है। इसे वर्बल ऑटोप्सी या सोशल ऑटोप्सी के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रक्रिया स्वास्थ्य संस्थान स्तर से लेकर समुदाय स्तर तक की जाती है। प्रशिक्षण के दौरान डॉ. गगन हंस ने बताया कि डेथ ऑडिट का मुख्य उद्देश्य मृत्यु के कारणों और प्रक्रिया में हुई कमियों की पहचान करना है, चाहे वे दवाइयों में देरी, अस्पताल पहुँचने में देर या किसी सुविधा संबंधी कमी से जुड़ी हों। इन ऑडिट रिपोर्टों की समीक्षा ब्लॉक और जिला स्तर पर की जाती है, जिसके बाद तीन चयनित मामलों को डीसी के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया किसी पर दोषारोपण के लिए नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षण में मातृ मृत्यु ऑडिट की प्रक्रिया पर भी जोर दिया गया, ताकि गलतियों की पहचान कर उन्हें ठीक किया जा सके।
बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए गर्भावस्था की प्रारंभिक पंजीकरण, उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की समय पर पहचान और उचित रेफरल व्यवस्था को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताया गया। उच्च जोखिम वाली माताओं को बड़े स्वास्थ्य केंद्रों में रेफर कर सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित किया जा सकता है, जिससे मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में मदद मिलेगी।