हिमाचल प्रदेश विद्यालय प्रवक्ता संघ सिरमौर ने मांग की है कि विद्यालय के प्रधानाचार्य पद के लिए प्रवक्ता एवं मुख्याध्यापक के अनुपात में काडर संख्या अनुपात वृद्धि कर प्रवक्ताओ के लिए 90% पद संरक्षित रखे जाए। प्रवक्ता संघ जिला सिरमौर अध्यक्ष सुरेंद्र पुंडीर व अन्य सदस्यों ने तर्क दिया कि वर्तमान परिस्थिति में जहां मुख्याध्यापक मात्र 3 वर्ष के सेवाकाल के बाद प्रधानाचार्य बन जाते हैं।
वहीं प्रवक्ता 20 से 25 वर्ष के सेवाकाल के उपरांत भी प्रवक्ता पद से ही सेवानिवृत्त हो रहे है।आश्चर्य का विषय यह है कि मुख्याध्यापक काडर से कनिष्ठ शिक्षक भी वरिष्ठ प्रवक्ताओं से पहले प्रधानाचार्य बनने लगे है। अतः वर्तमान परिस्थिति में प्रवक्ताओं की काडर संख्या के अनुपात में प्रधानाचार्य पद पर इस वर्ग के लिए कोटा बढ़ाना नितांत आवश्यक है।
आश्चर्य का विषय यह है कि जहां सभी विभागों में राजपत्रित पद के लिए विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। वहीं मुख्याध्यापक से प्रधानाचार्य के लिए किसी प्रकार की कोई विभागीय परीक्षा अनिवार्य नहीं। वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में जहां प्रवक्ता पद के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातकोत्तर है वहीं प्रधानाचार्य पद पर मुख्याध्यापक कोटे से केवल प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक भी प्रधानाचार्य बनते आ रहे हैं।
संख्या की बात की जाए तो आज 50% पद मात्र 750 मुख्य अध्यापकों के संरक्षित हैं, जबकि 18 हजार प्रवक्ताओं के लिए भी केवल 50% पद है जो शायद ही न्यायसंगत हो।
प्रवक्ता संघ ने इस तथ्य को भी गुमराह करने वाला बताया जिसमें मुख्याध्यापक पद के लिए प्रशिक्षित स्नातक शिक्षको को जोड़कर बताया जा रहा है क्योंकि यदि फीडिंग काडर की बात करे तो वर्तमान में प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक अधिक योग्यता होने के कारण पदोन्नति का विकल्प केवल प्रवक्ता पद के लिए देते हैं। दुर्भाग्य से अधिक शिक्षित होने के बावजूद भी प्रवक्ता ही सेवानिवृत्त हो जाते है ऐसी परिस्थिति में प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक आज मुख्याध्यापक से अधिक प्रवक्ता वर्ग का फीडिंग काडर है।
इसके अतिरिक्त प्रवक्ता संघ ने मांग की है कि सभी शैक्षणिक योग्यता को पूरा करने वाले विद्यालय प्रवक्ताओं को अन्य विभागों की तरह उच्च पद अर्थात महाविद्यालय सहायक प्रोफेसर महाविद्यालय के पद पर पदोन्नति दी जाए जिससे जहां दशकों तक ही पद पर रहने वाले विद्यालय प्रवक्ताओ को पदोन्नती के अवसर मिलेगे वही अधिक अनुभवी प्राध्यापको की सेवाओं का लाभ महाविद्यालय स्तर पर भी मिलेगा।
संघ अध्यक्ष ने कहा कि यदि विभाग द्वारा प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नती को संख्या के अनुपात मे नही बढाया गया तो मजबूरन संघ को इस अन्याय के विरुद्ध उचित न्यायालय मे चुनौती देनी पड़ेगी।