सोलन। जहां एक ओर देश जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले से स्तब्ध है, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने सोलन में डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती के नाम पर सम्मान समारोह और संगोष्ठी का आयोजन कर सवालों के घेरे में खुद को खड़ा कर लिया है। इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी गई थी, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। इसके बावजूद भाजपा द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम न तो स्थगित किया गया और न ही हमले को लेकर कोई विशेष संवेदना प्रकट की गई। कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे, जबकि इसकी अध्यक्षता पच्छाद की विधायक रीना कश्यप ने की। कार्यक्रम स्थल पर कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी कर स्वागत किया, मानो कुछ हुआ ही न हो। क्या यह वही पार्टी है जो हर मंच पर राष्ट्रीयता और सुरक्षा की बात करती है? क्या आतंकवाद के खिलाफ उसकी कथनी और करनी में अंतर नहीं है?जब देश मातम में डूबा है, तब क्या राजनीतिक शो और स्वागत के नारे जरूरी थे? भाजपा के इस रवैये पर जनता और विपक्ष दोनों सवाल उठा रहे हैं। सवाल सिर्फ कार्यक्रम के आयोजन का नहीं है, सवाल है उस संवेदनहीनता का जो शहीदों और मृतकों की आहों को अनदेखा कर आगे बढ़ जाती है। क्या यह वक्त नहीं था कि पार्टी एकजुटता और संवेदना का परिचय देती? क्या यह बेहतर नहीं होता कि कार्यक्रम को प्रतीकात्मक रूप से स्थगित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती?