भूखे रह गए विकास के सिपाही, सरकार बना रही है वादों की दीवार!   सरकार की चुप्पी,  ठेकेदारों की बर्बादी – कब जागेगी व्यवस्था?

सोलन में लोक निर्माण विभाग  से जुड़े ठेकेदारों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। पिछले 8 महीनों से विभाग द्वारा भुगतान नहीं मिलने के कारण ठेकेदारों की आर्थिक रीढ़ टूट चुकी है। हालात यह हो गए हैं कि वे अपने घरों का खर्च तक चलाने में असमर्थ हो गए हैं और एक बार फिर साहूकारों के दरवाजे पर सिर झुकाने को मजबूर हैं। आज सोलन के एडीसी  को ठेकेदारों ने एक ग्यापन  सौंपते हुए अपनी व्यथा सुनाई और चेताया कि यदि जल्द ही उनकी सुनवाई नहीं हुई, तो वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।जिस तरह का मानसिक और आर्थिक दबाव ठेकेदारों पर बन गया है, उससे यह साफ है कि यदि जल्द राहत नहीं मिली तो वे कर्ज के दलदल में पूरी तरह डूब जाएंगे। कुछ ठेकेदारों ने बताया कि वे पहले ही निजी उधार लेकर काम चला रहे थे, लेकिन अब साहूकारों ने भी हाथ खींच लिए हैं।ठेकेदारों हितेंद्र और दवेंद्र  का कहना है कि उन्होंने पूरे ईमानदारी से विकास कार्य किए सड़कों की मरम्मत, भवन निर्माण, पुलों का काम — लेकिन सरकार ने उन्हें उनके मेहनत के पैसे तक नहीं दिए। जिन मजदूरों को उन्होंने रोजगार दिया, उन्हें कर्ज लेकर भुगतान किया, लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि लोग उधार देना भी बंद कर चुके हैं। एक ठेकेदार ने बताया,  कि वह  बच्चों की फीस तक नहीं भर पा रहे हैं, घर में राशन लाना मुश्किल हो गया है। क्या यही विकास का मॉडल है, जहां विकास करने वालों को ही भूखा रहने पर मजबूर कर दिया जाए? ठेकेदारों ने यह भी सवाल उठाया कि जब वे हर परिस्थिति में कार्य कर सकते हैं  चाहे बारिश हो या बर्फबारी तो सरकार क्यों उनकी मेहनत की कमाई को दबा कर बैठी है? उनका कहना है कि सरकार का यह रवैया सरकारी व्यवस्था की असफलता को उजागर करता है। ज्ञापन में साफ कहा गया है कि यदि जल्द से जल्द बकाया भुगतान की व्यवस्था नहीं की गई, तो ठेकेदार सोलन में विशाल आंदोलन करेंगे, सड़कों पर उतरकर सरकार की नींद तोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी चुप्पी को कमजोरी न समझा जाए, अब समय आ गया है कि वे अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करें।बाइट हितेंद्र और दवेंद्र

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