मंडी में किसानों की मेहनत पर डाका, आढ़ती कर रहे मनमानी

कब जागेगी सरकार?  कहते हैं किसान अन्नदाता होता है, लेकिन सच्चाई ये है कि मंडियों में सबसे ज्यादा शोषण इसी अन्नदाता का हो रहा है। सोलन मंडी के किसानों ने APMC और आढ़तियों की मिलीभगत पर गंभीर आरोप लगाए हैं।सोलन की मंडी  में इन दिनों एक नया नज़ारा देखने को मिल रहा है — किसान रो रहे हैं और आढ़ती मुस्कुरा रहे हैं। कारण है वह शोषण, जो खुलेआम काट के नाम पर किसानों की जेब से किया जा रहा है। यह सिलसिला न सिर्फ अमानवीय है बल्कि शोषण का खुला रूप है। किसानों ने इसे जजिया कर जैसा शोषण करार देते हुए कहा कि मंडी में कानून नहीं, आढ़तियों की मनमानी चल रही है। उन्होंने कई बार शिकायतें भी की हैं, लेकिन APMC और प्रशासन की मौन चुप्पी इस भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।
किसानों का कहना है कि वे महीनों खेतों में मेहनत करके फसल उगाते हैं, लेकिन मंडी पहुंचते ही उनकी फसल का मुनाफा आढ़ती  काट  के नाम पर हड़प लेते हैं। प्रति बोरी 1 से 2 किलो तक की कटौती कर ली जाती है। इतना ही नहीं, अगर बोरी में तय वजन से 500 ग्राम भी ज़्यादा होता है, तो उसे भी  काट में शामिल कर लिया जाता है।यह काट आढ़तियों के लिए मोटा मुनाफा और किसानों के लिए सीधा घाटा बन गई है। एक आढ़ती रोज़ाना 100 किसानों से काट के नाम पर 200 किलो तक फसल बिना किसी मेहनत के कमा लेता है। किसानों ने APMC की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि शिकायतों के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही, और मंडी प्रशासन इन मुद्दों से आंखें मूंदे बैठा है।बाइट किसान

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