सोलन: हिमाचल प्रदेश में ह्यूमन वेलफेयर क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसायटी में बीते नौ सालों से हजारों लोगों से 200 करोड़ रुपये निवेश करवाए और अब इसका अस्तित्व ही खतरे में है। हैरानी की बात यह है कि यह सोसायटी केंद्र सरकार के नियमानुसार खोली गई थी, जिस पर प्रदेश सरकार का कोई नियंत्रण नहीं था।
दो महीने पहले तक सब ठीक था, फिर अचानक हुआ खेल!
महज दो महीने पहले तक यह सोसायटी सुचारू रूप से काम कर रही थी, लेकिन अचानक इसका पोर्टल बंद हो गया। जैसे ही निवेशकों और एजेंटों को इसकी भनक लगी, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। लोगों की गाढ़ी कमाई पर संकट के बादल मंडराने लगे, और अब उनका भविष्य अधर में लटक गया है। पीड़ित निवेशकों और एजेंटों ने एडीसी सोलन से मुलाकात कर अपनी आपबीती सुनाई और सरकार से न्याय की गुहार लगाई।
एजेंटों और पदाधिकारियों ने खुलासा किया कि हिमाचल प्रदेश में सोसायटी के 37 सुविधा केंद्र चल रहे थे, जहां निवेशकों को आकर्षक ऑफर और ऊंचे ब्याज दरों का लालच देकर फंसाया गया। सोलन समेत प्रदेश के कई अन्य जिलों में दर्जनों एजेंट पैसा न मिलने से खासे परेशान हैं। अब स्थिति यह है कि एजेंट खुद घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं, क्योंकि निवेशकों ने उनके माध्यम से ही पैसा लगाया था।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटना सामने आई है। इससे पहले किसान क्रेडिट सोसायटी भी हिमाचल वासियों के करोड़ों रुपये डकार चुकी है, लेकिन आज तक किसी को उनका पैसा वापस नहीं मिला। अब ह्यूमन वेलफेयर क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसायटी ने भी वही खेल खेला है।
सरकार और प्रशासन की नाकामी से फिर लुटे भोले-भाले नागरिक!
सरकार और प्रशासन की लापरवाही के कारण एक बार फिर मासूम नागरिक ठगी का शिकार हो रहे है। ज्यादा ब्याज के लालच में उन्होंने अपनी जीवन भर की कमाई इस सोसायटी में लगा दी, लेकिन अब जब घटना उजागर हुई, तो सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
अब सवाल उठता है – क्या मिलेगा निवेशकों को न्याय?
निवेशकों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस घटना की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस बार प्रभावित नागरिकों को उनका पैसा वापस मिलेगा या यह मामला भी बीते घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा? अब हिमाचल वासियों को सतर्क रहने की जरूरत है! अगर कोई निवेश स्कीम जरूरत से ज्यादा मुनाफे का दावा करे, तो सावधान रहें, कहीं आप भी अगला शिकार न बन जाएं!