गुलामों जैसी ज़िंदगी जीने को मजबूर है कसौली के टैक्सी चालक

कसौली के टैक्सी चालक आज सोलन में उपायुक्त सोलन से मुलाक़ात करने पहुंचे। वहां उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कसौली में उनका जीवन कैदियों जैसा हो गया है और उन्हें लगता है कि वह देश के आज़ाद नागरिक नहीं बल्कि गुलाम है। आए दिन वहां उन्हें कन्टोन्मेंट के अधिकारियों के द्वारा प्रताड़ित किया जाता है। कसौली में आ रहे पर्यटकों को टैक्सी से उतारने का समय तक नहीं दिया जाता है। जिसकी वजह से उन्हें करीबन एक किलोमीटर पहले उतारना पड़ता है। यह कार्रवाई केवल टैक्सी चालकों पर ही की जा रही है गत दिवस भी आम वाहनों को छोड़ केवल टैक्सी के टायरों पर कलैप लगा दिए गए। जो बेहद निराशाजनक व्यवहार है जिसकी वजह से उनका कारोबार करना बेहद मुश्किल हो चला है

अध्यक्ष बलबीर सिंह , प्रदीप कौशल ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि कसौली में तीन मंजिला पार्किंग बना दी है लेकिन उन्हें टैक्सी खड़ी करने की अनुमति नहीं है। टैक्सी में कोई सामान लेने के लिए कसौली आता है तो करीबन दो किलमीटर उसे पहले उतारना पड़ता है। वही जो स्थान उन्हें टैक्सी लगाने के लिए दिया गया था वहां भी कल उनकी टैक्सियों पर क्लैम्प लगा दिए गए। जो बोर्ड की दादागिरी है और टैक्सी चालकों के मौलिक अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था के कारण टैक्सी चालकों का काम नहीं चल रहा है। और किश्तें निकालनी भी मुश्किल हो चली है। अगर बोर्ड अपना रवैया नहीं बदलता है तो वह उग्र धरना प्रदर्शन करेंगे जिसका जिम्मेदार प्रशासन होगा।

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