लिवर की बीमारी आजकल घर घर में देखने को मिल रही है जो एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है। पर अगर यह शुरूआती दौर में है तो इसे लगभग पूरी तरीके से ठीक किया जा सकता है अगर हम सही अप्रोच के साथ खान पान और नित्य दिनचर्या में सुधार कर लें । और अगर किसी को सीरियस लिवर की बीमारी है तो भी वे अपने डेली रूटीन और खान पान पर ध्यान देने के साथ इन कुछ खास चीजों पर ध्यान दें तो इसे भी नियंत्रित किया जा सकता है।
फैटी लीवर क्या है और और इसके लक्षण क्या होते हैं
जब हमारे लीवर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है तो इसे फैटी लीवर कहा जाता है । जो स्वस्थ लीवर होते हैं उसमें थोड़ी मात्रा में वसा होती है। वैसे ज्यादातर फैटी लिवर वाले व्यक्तियों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, लेकिन कुछ वयक्ति को लिवर बढ़ने के कारण पेट के दाहिनी ओर दर्द का अहसास हो सकता है। किसी किसी में ये सामान्य लक्षण जैसे कि थकान, जी मिचलाना और भूख न लगना आदि दिखाई देते हैं। पर अगर एक बार लिवर कि गंभीर बीमारी सिरोसिस आदि विकसित हो जाये तब त्वचा भी पीली पड़ जाती है जिसे पीलिया कहते हैं, और पेट में पानी भर जाता है साथ ही खून की उल्टी भी होने कि आशंका बनी रहती है। ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड स्कैन से फैटी लिवर का पता लगाया जाता है। जब लिवर का रक्त जाँच सामान्य न निकले तो डॉक्टर इसके बाद अल्ट्रसाउंड करवाने को कहते हैं। कुछ नए परीक्षण “फाइब्रोस्कैन और “फाइब्रोटेस्ट भी सज्ज़ेस्ट किये जाते हैं जो अधिक विश्वसनीय होते हैं।
फैटी लिवर होता क्यों है
शराब ज्यादा पीना इसका सबसे आम कारण है, लेकिन शराब के अलावा इसके दूसरे कारण भी होते हैं जैसे कि डायबिटीज होना, ज्यादा मोटापा होना ,खून में फैट का बढ़ना,कोलेस्ट्रॉल का हाई होना, मेटाबॉलिज्म कम होना और जरुरत से ज्यादा तली हुयी या वसा वाली चीजें खाना आदि । और अगर किसी के माता पिता या नाना नानी या फिर दादा दादी में से किसी को लिवर या किडनी से जुड़ी कोई बीमारी रही हो तो भी उन्हें फैटी लीवर होने की संभावनाएँ ज्यादा होती हैं।
फैटी लिवर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं
एल्कोहॉलिक फैटी लिवर : यह अल्कोहल यानी कि शराब ज्यादा पीने से होता है जिससे लिवर में फैट जमने लगता है और लिवर में सूजन आ जाती है।
नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर : नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर सामान्यतः सही खान-पान और दिनचर्या ठीक न होने की वजह से होता है। जब व्यक्ति ज्यादा तला हुआ खाना खाना खाता है या फिर ज्यादातर बाहर का खाना खाता हो तो होता है।
फैटी लिवर का इलाज
वर्तमान में, फैटी लिवर के इलाज के लिए पूर्णरूप से कोई दवा नहीं है। प्रारंभिक फैटी लिवर को आमतौर पर खान पान और दिनचर्या में सुधार करके, वजन घटा कर , व्यायाम से और मधुमेह जैसे खतरे के कारकों के नियंत्रित करके इसे आसानी से पहले वाले रूप (रिवर्स ) में लाया जा सकता है । जैसे-जैसे लिवर की क्षति ज्यादा गंभीर होने से सिरोसिस हो सकती है और इस स्तर पर केवल लिवर प्रत्यारोपण से रोगी को बचाया जा सकता है। मोटे लोग जिन्हे फैटी लिवर भी है,उन्हें सबसे पहले अपना वजन कम करना चाहिए ताकि इसे नियंत्रित करना आसान हो सके।
फैटी लिवर होने से कैसे बचें या इस रोग को कैसे (रिवर्स) करें
वजन कम करके अपना वजन मैनेज करें। रोज कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें या वाकिंग जरूर करें । भोजन में तेल की मात्रा कम करें। ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ जैसे सफेद चावल, आलू, सफेद ब्रेड और कोल्ड्रिंक या डिब्बाबंद चीजें को सेवन करने से बचें । ये हमारी आंतों से जल्दी से अवशोषित हो जाते हैं और लिवर फैट में में बदल जाते हैं। खाद्य पदार्थ जो धीरे-धीरे अवशोषित हो जाते हैं, जैसे कि मोटे अनाज, दालें, नट्स, सेब ,संतरे और दूसरे फाइबर वाले साग सब्जिया तथा फल फायदेमंद होते हैं। फ्रुक्टोज से भरपूर जूस और कार्बोनेटेड पेय पीने से बचें। कोई भी मेडिसिन खुद से न लें , इसके लिए अपने डॉक्टर से बात करें। निरंतर स्वास्थ्य जांच करवाएं । समय समय पर अपने लिवर एंजाइम, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जाँच करें। अगर आपको उच्च रक्तचाप और मधुमेह है, तो इसका इलाज ठीक से करवाएं ।आप शराब का सेवन पूरी तरह से बंद कर दें । इस तरह से फैटी लिवर से बचा जा सकता है या कण्ट्रोल किया जा सकता है।
फैटी लीवर के लिए या फिर लिवर को स्वस्थ रखने के लिए इन फलों को जरूर शामिल करें
आवश्यक विटामिन और खनिजों से भरपूर, फैटी लीवर के लिए इन फलों को खाने से कई फायदे होते हैं। इन फलों में एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर भी होते हैं जो सूजन को कम करने और लिवर को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है।
अंगूर
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, अंगूर नारिंगिन और नारिनजेनिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट को बढ़ाता है, ये सूजन से लड़ने और बैक्टीरिया से लीवर को बचाता है। यह फल फैटी लीवर के कारण लीवर में जो नुकसान होता है उसे ठीक करने में भी मदद करता है ।
सेब
प्रतिदिन एक सेब लीवर की समस्याओं को दूर रखता है। सेब से लीवर की चर्बी को कम होती है। सेब से पाचन भी सुधरता है। जर्नल एनिमल्स में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि सेब में मौजूद पॉलीफेनोल्स वसा के जमाव को कम करता है।
बेरीज
शहतूत, स्ट्रॉबेरी और ब्लैकबेरी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो लीवर के स्वस्थ्य बनाए रखता है। इनका नियमित सेवन ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हुए रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को संतुलित किया जा सकता है।
ब्लू बेरीज
ब्लूबेरी एंटीऑक्सीडेंट का एक पावरहाउस है। ये एंटीऑक्सीडेंट लीवर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पपीता
विटामिन और एंजाइम से भरपूर पपीता हृदय, पाचन और इम्युनिटी को स्वस्थ बनाने लिए अच्छा है। लीवर को डिटॉक्स करने वाला फल है। वर्ल्ड जर्नल ऑफ हेपेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि पपीता नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग में सुधार करने में मदद करता है।
काला चना
काला चना भी फैटी लिवर में बहुत फायदे मंद होता हैं। इससे पाचन में भी सुधार होता है।
रंगीन सब्जियां
रंगीन सब्जिया फैटी लिवर के लिए काफी अच्छा माने जाता है। इसीलिए फैटी लिवर वाले को इसे जरूर खाना चाहिए। इसमें सभी जरुरी चीजें होती है जो फटती लिवर को ठीक करने के लिए जरुरी होता है।
कॉफी
यह लिवर के फैट को डेटॉक्स या यों कहले की लिवर को साफ़ करने का काम करता है। इसलिए फैटी लिवर में यह बहुत महत्वपूर्ण चीज है।