2 अगस्त 2000 को देश की संसद ने एक नया राज्य झारखंड बनाने के लिए बिहार पुनर्गठन विधेयक पारित किया और इसके तहत 15 नवंबर 2000 को बिहार से 18 जिले को अलग करके झारखंड राज्य बनाया गया। और इस तरह यह भारत का 28वां राज्य बना । इस दिन को झारखंड स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। चुकी बिरसा मुंडा की जयंती पर ही झारखंड राज्य का गठन हुआ था इसीलिए इस दिन को झारखण्ड स्थापना दिवस के रूप में तो मनाया जाता ही है साथ ही बिरसा मुंडा जयंती भी मनाया जाता है ।
यह दिन झारखंड और झारखंड के लोगों के लिए काफी बड़ा और महत्वपूर्ण दिन होता है। राज्य स्थापना दिवस के मौके पर मोरहाबादी मैदान और बिरसा संग्रहालय में धूम धाम रहा करती है। इस मौके पर राजकीय कार्यक्रम करोड़ों की लागत से बना इस बिरसा संग्रहालय में कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे हैं। बिरसा संग्रहालय का उद्घाटन 15 नवंबर 2021 को जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर पीएम मोदी ने किया था। जिसमें राज्यपाल और मुख्यमंत्री आम जनता को सरकारी योजनाओं की सौगात दिया करते हैं। वहीं आम लोग भव्य सांस्कृतिक समारोह का भी आनंद उठाते हैं।
बिरसामुंडा जो की जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे उन्होंने कम उम्र में ही अंग्रेजों के खिलाफ जंग शुरू कर दी थी और इसे मरते दम तक कायम रखा था। बिरसा मुंडा और उनके समर्थकों ने अंग्रेजों को नाक में दम कर रखा था जिससे अंग्रेज बहुत परेशान थे । आजादी के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले बिरसामुंडा ने उलगुलान क्रांति का आह्वान किया। भगवान बिरसा मुंडा की जो गौरव गाथा है वो देशवाशियों को हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। जब ब्रिटिश शासकों के शोषण से आदिवासी समाज झुलस रहा था तब बिरसा मुंडा ने आदिवासियों को शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए संघर्ष किया । 1895 में बिरसा ने अंग्रेजों द्वारा बनायीं गई जमींदार प्रथा, राजस्व व्यवस्था और जंगल जमीन की लड़ाई छेड़ दी। यह भारतियों के लिए अस्मिता और संस्कृति को बचाने की लड़ाई थी।
झारखंड दो शब्दों झाड़ और खंड से मिलकर बना है जहाँ झाड़ का शाब्दिक अर्थ है वन और खंड का अर्थ है क्षेत्र , यानि जंगलों का प्रदेश । महाभारत के दिग्विजय पर्व में झारखण्ड को पशु भूमि और पूण्डरीक देश कहा गया है। यह भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से का एक राज्य है। प्राकृतिक सौंदर्य एवं जैव विविधता के रूप में झारखण्ड को समृद्ध माना जाता है जो अपने घने जंगलो,नदियां, झरनें, लोक कला और संस्कृति के साथ साथ अपने धार्मिक स्थलों एवं आदिवासी जीवन शैली के लिए बेहद प्रसिद्ध है। यहां प्रचुर मात्रा में खनिज संपदा पाई जाती है और यह खनिज संसाधन के हिसाब से देश का सबसे समृद्ध राज्य माना जाता है। खनिज सम्पदा के हिसाब से देश के कुल खनिज का लगभग 40 % झारखण्ड में है। झारखंड राज्य की अर्थव्यवस्था में यहाँ पाए जाने वाले खनिजों जैसे कि कोयला, लोहा, तांबा आदि का महत्वपूर्ण योगदान है। देश का लगभग 23 % लौह अयस्क झारखण्ड में है।
यहाँ की संस्कृति में आदिवासी नृत्य, संगीत और लोककथाओं की प्रमुख भूमिका है। लोकनृत्य सरहुल, पाईका, छऊ और जदुर यहाँ के प्रमुख नृत्य हैं। छऊ नृत्य पारंपरिक कथाओं और महाकाव्यों पर आधारित होता है जिसे यूनेस्को ने इसे अपनी सूची में शामिल किया है। यह अपनी हस्तशिल्प कला, जैसे लकड़ी की नक्काशी, बांस के काम, पीतल के बर्तन, और टसर सिल्क आदि के लिए प्रसिद्ध है। इन शिल्पों में आदिवासी जीवन और प्रकृति को उकेरा जाता है। यहाँ के कुछ लोकप्रिय व्यंजन हैं ढुस्का जो चावल और उड़द की दाल से बना तला हुआ व्यंजन होता है। चिलका रोटी जो चावल के आटे से बनी रोटी होती है । पिठा जो की चावल के आटे और खोवा, तिलहन और गुड़ से बनी होती है। हड़िया जो की चावल से बनी पारंपरिक पेय है ।
यहाँ घूमने के लिए भी बहुत से प्रसिद्ध स्थान हैं। रांची जलप्रपातों जैसे की हंड्रू फॉल्स, दसम फॉल्स, और रांची लेक और हरे-भरे परिदृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। देवघर झारखंड का धार्मिक केंद्र है। यहाँ का बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग श्रद्धालुओं के लिए बड़े ही पवित्र आस्था के केंद्र है। नेटारहाट अपने शानदार सूर्योदय और सूर्यास्त दृश्यों के लिए जाना जाता है। पारसनाथ पहाड़ जो की जैन धर्म का एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यहाँ वातावरण बहुत ही शांत है इसीलिए यहाँ लोग आध्यात्मिक अनुभव के लिए आते हैं। पालामू किला झारखंड के ऐतिहासिक गौरव का प्रतीक है जो की नागवंशी राजाओं द्वारा बनवाया गया था।