रासुमान्दर के देवठी मझगांव में आदिकालीन भड़ाल्टू नृत्य की 21 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

Organization of 21 day workshop of ancient Bhadaltu dance in Devathi Mazgaon of Rasumander.

राजगढ़ विकास खंड के दूर रासुमांदर क्षेत्र के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय देवठी मझगांव में उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के सौजन्य से भड़ाल्टू नृत्य के प्रशिक्षण हेतु 8 नवंबर से 28 नवंबर तक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। यह जानकारी देते हुए पदम श्री विद्यानंद सरैक ने बताया कि इस कार्यशाला में विद्यालय के छात्रों को हाटी जनजातीय क्षेत्र के भड़ाल्टू नृत्य का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर डॉक्टर जोगिंदर हाब्बी द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम के गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक के अलावा विद्यालय के प्रधानाचार्य बी आर चौहान, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित कलाकार गोपाल हाब्बी तथा कई गणमान्य जन उपस्थित थे।
उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के सौजन्य से आयोजित की जा रही इस प्रशिक्षण कार्यशाला में गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक के मार्गदर्शन में विद्यालय के छात्रों को आदिकालीन भड़ाल्टू नृत्य का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रशिक्षण कार्यशाला के विशेषज्ञ एवं गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक ने कहा कि भड़ाल्टू नृत्य जिला सिरमौर की विलुप्त होती जा रही नृत्य विधा है। इस विलुप्त होते जा रहे नृत्य के संरक्षण संवर्धन के लिए उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के सौजन्य से नई पीढ़ी को इस नृत्य का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा ताकि युवा पीढ़ी कि इस नृत्य में रुचि बढ़े।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ जोगेंद्र हाब्बी ने कहा कि पद्मश्री विद्यानंद सरैक व हमारे संस्कृतिक दल के कलाकारों के सहयोग से इस नृत्य के संरक्षण संवर्धन के लिए 15 -16 वर्ष पहले शोध कार्य किया था। इस दौरान उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से सम्मानित युवा कलाकार गोपाल हाब्बी द्वारा इस नृत्य के परिधानों का निर्माण किया गया। तदोपरांत कलाकारों को नृत्य का प्रशिक्षण दिया गया और आज हम देख रहे हैं कि प्रदेश में ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर भी अनेकों महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आयोजनों में भड़ाल्टू नृत्य की सैकड़ो सफल प्रस्तुतियां हो चुकी हैं और भड़ाल्टू नृत्य आज राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बना चुका है।
डॉ जोगिंदर हाब्बी ने कहा कि युवा पीढ़ी को इस विलुप्त नृत्य का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला का यह बहुत ही सराहनीय प्रयास है। इस प्रकार के दुर्लभ एवं विलुप्तप्रायः नृत्यों को नई पीढ़ी को सीखने की बहुत आवश्यकता है अन्यथा ऐसे नृत्य पूर्णतया विलुप्त हो जाएंगे।
हाब्बी ने विद्यार्थियों को कहा कि आप पढ़ाई के साथ-साथ अपनी परंपराओं तथा संस्कृति में भी रुचि बनाए रखें क्योंकि हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है अगर हम अपनी संस्कृति को भूल जाएंगे तो हमारी पहचान ही मिट जाएगी। उन्होंने विद्यार्थियों को नशे से दूर रहने का भी आग्रह किया और कहा कि नशा हमें विनाश की तरफ ले जाता है। यदि आप आपके जीवन में विकास करना चाहते है तो
नशे से दूर रहें।
विद्यालय के प्रधानाचार्य बी आर शर्मा ने भी उत्तर क्षेत्रीय संस्कृति केंद्र पटियाला व पद्मश्री विद्यानंद सरैक का आभार जताया कि उन्होंने इस प्रशिक्षण कार्यशाला के आयोजन के लिए हमारे विद्यालय को चुना है। उन्होंने भी छात्रों से आग्रह किया कि हमें आप अपनी पुरातन संस्कृति लोकगीतों और लोक गाथाओं को न भूलें।

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