हिम सिने सोसायटी द्वारा आयोजित दो दिवसीय फिल्मोत्सव मैं विधायक सुधीर शर्मा ने समापन अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि फिल्म विचार देने का माध्यम है इसलिए सिनेमा मैं मनोरंजन के साथ साथ संस्कार प्रदान करना आवश्यक है। प्रदेश के अंदर सिनेमा से संबंधित अधोसंरचना का सृजन हो ताकि प्रदेश के युवाओं और रचनात्मक कार्य करने वालों
समापन समारोह मैं विशेष अतिथि प्रख्यात मराठी रंगमंच अभिनेता तथा फिल्म अभिनेता मनोज जोशी ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति विश्व को कथा प्रदान करने की संस्कृति है ।उन्होंने हिंम फिल्म उत्सव में हिमाचल और अन्य राज्यों की सहभागिता पर प्रसन्नता जताई उन्होंने कहा कि फिल्मों और
नाटक का सफर लंबा है जिसके लिए कठिन परिश्रम आवश्यक है। हिमाचल फिल्म उत्सव में चयनित फिल्म प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी आई हैं वह हिमाचल के लिए और युवाओं के लिए अत्यंत गौरव की बात हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल में 40 फिल्मों की एंट्री आना सराहनीय है । उन्होंने कहा कि युवाओं को अपने विचार और राष्ट्रीयता के भाव को फिल्मों के माध्यम से आगे ले जाना अत्यंत आवश्यक है।हिमाचल के अनेक लोग फिल्म इंडस्ट्री में विभिन्न रूप से कार्य कर रहे हैं और फिल्म इंडस्ट्री को अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने फिल्म साक्षरता कोआवश्यक बताते हुए हिम सिने सोसायटी के प्रयासों की सराहना की । उन्होंने कहा कि भारतीय विचार विश्व का सबसे प्रबल विचार है। ऐसे फिल्मोत्सव प्रत्येक प्रांत में होना आवश्यक है। मां, माटी और मेरी बात का प्रचार हिम सिने सोसायटी द्वारा किया जा रहा है जो कि सराहनीय है ।भारतीय दर्शन और भारतीय मौलिकता को मिलन मैं दिखाना आवश्यक है।
निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमन्त्री पैम्पा सेरिंग ने कहा कि फिल्म स्मृति लंबे समय तक रहती है जो समाज मैं चेतना लाने का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि फिल्म समाज का आईना होती है । उन्हें समारोह मैं आमंत्रण के लिए आयोजन समिति का आभार प्रकट किया। समाज मैं जागरूकता, राष्ट्र भाव और चिंतन प्रदान करना भी फिल्मों का दायित्व है। कल को आकार देने वाला कलाकार कहलाता है।
अधिष्ठाता अध्ययन केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला डा प्रदीप कुमार ने कहा कि हिमाचल में शूटिंग के लिए विभिन्न क्षेत्र अपार नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर है। फिल्मों मैं संस्कार होनी
हिम सिने सोसायटी हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित फिल्म महोत्सव के दूसरे अंतिम दिन आज भारतीय चित्र साधना के न्यासी एवं फिल्म समीक्षक अरुण अरोड़ा ने भारत मैं फिल्म राष्ट्रीय विचारों के विरुद्ध निर्मित हो रही है। अरुण अरोड़ा जी ने राज कपूर अभिनीत फिल्म ‘श्री 420’ से लेकर शोले, दीवार, अर्थ इत्यादि फिल्मों में जो भारत विरोधी विमर्श स्थापित किए गए हैं, इसका उदाहरण सहित विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि आवश्यकता है कि युवा पीढ़ी इन फिल्मों को ध्यान से देखें और उसके मूल अर्थ को ग्रहण कर उसे पर विचार करे। इसी बात को प्रसारित करने के लिए हिम फिल्मोत्सव जैसे कार्यक्रम हो रहे हैं।