सोलन में मशरूम मेले का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और मशरूम अनुसंधान निदेशालय द्वारा संयुक्त तौर पर किया जा रहा है। इस मेले का उद्घाटन राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने किया। राज्यपाल 27वें राष्ट्रीय मशरूम मेले का शुभारंभ करते हुए कहा कि मशरूम की जीवन अवधि बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा शोध करने की जरूरत है। मेले में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे राज्यपाल ने इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने और अधिक से अधिक लोगों को इसके साथ जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।निदेशालय को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह मेला वर्ष 1998 से लगातार हर वर्ष आयोजित किया जा रहा है। इसी दिन वर्ष 1997 में सोलन को मशरूम सिटी का नाम मिला। बीते 27 वर्षों में कई उत्पादकों ने मशरूम की खेती को रोजगार के तौर पर अपनाया है। उन्होंने कहा इस लंबे अरसे के दौरान मशरूम उत्पादकों ने मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन की तकनीक के द्वारा विभिन्न प्रकार की किस्में विकसित की हैं।
न पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन में भारत चौथे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि मशरूम की खेती एक छोटे से कमरे से शुरू कर किसान दो तीन माह के भीतर आय अर्जित कर सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि ग्रामीण युवाओं के लिए यह रोजगार का बहुत ही शानदार जरिया है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों, उत्पादकों, उद्यमियों और उद्योगों को एक मंच पर आकर मशरूम की पैदावार बढ़ाने के लिए प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन, भारत का एकमात्र संस्थान है जिसके देशभर में 32 मशरूम समन्वयक परियोजना केंद्र हैं। उन्होंने निदेशालय के वैज्ञानिकों से कहा कि वह कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से मशरूम की उत्पादन तकनीकों को देश के कोने-कोने तक पहुंचाएं ताकि नई किस्मों को बेहतर दाम मिलें