सोन भंडार गुफा का रहस्यमयी खजाना जिसका दरवाजा अंग्रेज़ भी नहीं खुलवा पाए, दिलचस्प है इसका इतिहास

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प्राचीनकाल में भारत को सोने की चिड़िया यूं ही नहीं कहा जाता था. उस दौरान कई राजा-महाराजाओं ने दूसरे राज्यों से लूटे खजाने को छिपा कर रखा. उनमें से कुछ के बारे में आज भी रहस्य बरकरार है.

इंडिया टाइम्स हिंदी उन्हीं में एक बिहार की ‘सोन भंडार गुफा’ के रहस्यमयी खजाने की कहानी लेकर आया है. सदियों से बंद दरवाजे को अंग्रेज भी नहीं खोल पाए. 

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राजा बिम्बिसार का खजाना

बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में स्थित ‘सोन भंडार’ गुफा में वर्षों पुराना खजाना छुपा हुआ है. माना जाता है कि ये हर्यक वंश के प्रथम राजा बिम्बिसार की पत्नी ने छिपाया था.

इतिहासकारों के अनुसार, हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार को सोने-चांदी से गहरा लगाव था. वह सोने और उसे बने आभूषणों को इकट्ठा करते थे. उनकी कई रानियां थीं, लेकिन एक रानी उनका बहुत ख्याल रखती थी. अजातशत्रु ने जब अपने पिता बिम्बिसार को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया, तब बिम्बिसार की इसी पत्नी ने राजा के खजाने को सोन भंडार में छिपा दिया था जो आज तक रहस्य बना हुआ है.

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राजा की पत्नी ने बनवाई था गुफा

इतिहासकारों ने अनुसार, बिम्बिसार की पत्नी ने विभागिरी पर्वत की तलहटी में सोन भंडार गुफा का निर्माण करवाया था. सत्ता प्राप्ति के लिए बिम्बिसार के पुत्र अजातशत्रु ने उसे कैदखाने में डाल दिया और मगध का सम्राट बन गया. हालांकि, राजा की मौत कैसे हुई इस पर संशय बना हुआ है. कुछ का मानना है कि अजातशत्रु ने अपने पिता को मरवा दिया था, कुछ का कहना है कि बिम्बिसार ने आत्महत्या कर ली थी.

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अंग्रेज़ भी नहीं खोल पाए खजाने का दरवाजा

बता दें कि सोन भंडार गुफा के अंदर दो कमरे हैं. अंदर दाखिल होते ही 10.4 मीटर लंबा और 5.2 मीटर चौड़ा एक कमरा है. इसकी ऊंचाई तक़रीबन 1.5 मीटर है. कहा जाता है इस कमरे में खजाने की रक्षा करने वाले सिपाही तैनात रहते थे. इसी कमरे के अंदर से एक और कमरा है, जो एक बड़ी चट्टान से ढका हुआ है. इसी राजा का खजाना माना जाता है. लेकिन, इस दरवाजे को खोलने में अब तक कोई कामयाब नहीं हुआ.

ब्रिटिश भारत में भी इस रहस्यमयी खजाने तक पहुंचने की कोशिश की गई थी. खजाने वाले कमरे को खोलने के लिए तोप के गोले का इस्तेमाल किया गया. फिर भी इसे खोलने में अंग्रेज़ असफल रहे. कहा जाता है कि आज भी इस गुफा पर दागे गए गोले के निशान मौजूद हैं.

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चट्टान पर लिखा है खजाने का रहस्य, लेकिन…

गुफा की दीवार पर शंख लिपि में कुछ लिखा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि इसी में सोन गुफा भंडार के खजाने का रहस्य छिपा हुआ है, लेकिन वो किस भाषा में है, उस पर आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है. माना जाता है कि जो भी इस शिलालेख को पढ़ लेगा वह खजाने तक पहुंच जाएगा.

गौरतलब है कि राजगीर में कुछ गुफाएं मौजूद हैं. इनमें एक के बाहर मौर्यकालीन कलाकृतियां देखने को मिलती हैं तो दूसरी के दाखिले दरवाजे पर गुप्त राजवंश की भाषा में शिलालेख मिले हैं.

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इतिहासकारों की मानें तो इन गुफाओं का निर्माण ईसा पूर्व चौथी सदी में जैन मुनि ने कराया था. यहां एक गुफा में जैन धर्म की 6 मूर्तियां भी पाई गई हैं. वहीं इन गुफाओं के बाहर हिंदू धर्म के भगवान विष्णु और जैन धर्म की मूर्तियां मिलने पर इस जगह को हिंदू और जैन धर्म से भी जोड़ा जाता है. कई इतिहासकार ऐसे भी हैं जो इसका संबंध बौद्ध धर्म से जोड़ते हैं.

मगध के कुशल सम्राट और हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार, 543 ईसा पूर्व में 15 वर्ष की छोटी आयु में ही मगध की गद्दी पर बैठ गए. उन्होंने ने ही राजगृह का निर्माण कराया था. इसे ही बाद में राजगीर कहा जाने लगा.

महाभारत काल से भी जुड़ा है इस खजाने का संबंध

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सोन भंडार गुफा के रहस्यमयी खजाने को हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार का माना जाता है, लेकिन ऐसी भी मान्यता है कि इस खजाने का संबंध महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है.

कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, वायु पुराण में लिखा है कि हर्यक वंश शासनकाल से तकरीबन 2500 वर्ष पूर्व मगध पर सम्राट वृहदरथ का शासन हुआ करता था. वृहदरथ के बाद उनके बेटे जरासंध ने पिता की गद्दी संभाली और सम्राट बने. जरासंध एक कुशल और पराक्रमी सम्राट माने जाते थे. वो चक्रवर्ती सम्राट बनने के लिए 100 राज्यों को परास्त कर अपने अधीन करने निकल पड़े.

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कहा जाता है कि सम्राट जरासंध ने 80 से अधिक राज्यों को के राजाओं को हराकर अपने अधीन भी कर लिया था. उन्होंने उनकी संपत्ति को भी अपने कब्जे में ले लिया था. कहा जाता है कि इन राज्यों से इकट्ठा की गई संपत्ति को जरासंध ने विभागिरी पर्वत की तलहटी में एक गुफा का निर्माण कराकर छिपा दिया था.

वायु पुराण के अनुसार, सम्राट जरासंध अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लगातार आगे बढ़ते जा रहे थे. जब तक वो 100 राज्यों को पराजित कर पाते उससे पहले ही पांडवों ने उन्हें युद्ध के लिए आमंत्रित किया. भीम की सेना के साथ जरासंध का लगभग 13 दिनों तक घमासान युद्ध चला. भगवान श्रीकृष्ण के बनाए गए मंसूबे से भीम ने जरासंध को युद्ध भूमि में परास्त कर मार डाला. जरासंध की मौत के साथ ही उसके खजाने का राज भी दफन हो गया.

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हालांकि, अधिकतर इतिहासकार बिहार के राजगीर में मौजूद सोन भंडार के रहस्यमयी खजाने को हर्यक वंश के राजा बिम्बिसार का मानते हैं. वहीं कुछ महाभारत काल के शासक जरासंध का इसे बताते हैं. फ़िलहाल, खजाना किसी का हो, लेकिन इस रहस्यमयी खजाने का पता अब तक नहीं चल पाया है. अब इस जगह को पर्यटन स्थल बना दिया गया है.