राष्ट्रपति ने सिम्बायोसिस इंटरनेशनल के 21वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया

President attends 21st convocation of Symbiosis International

छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज वे इतने सक्षम हो गए हैं कि वे अपने व्यक्तित्व और ज्ञान से देश-विदेश में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। वे नवाचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के माध्यम से प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवा, कानून, सामाजिक विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में प्रभावी योगदान दे सकते हैं। उन्होंने छात्रों से देश के विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों की संस्कृति और उनकी वर्तमान जरूरतों को समझने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस ज्ञान के आधार पर उन्हें ऐसे सॉफ्टवेयर, स्वास्थ्य सेवा उत्पाद और विपणन रणनीति बनानी चाहिए, जो खासकर वंचित वर्गों के साथ-साथ सभी के विकास में मदद करें और सतत विकास को भी बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप इंडिया, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी पहल भी उन्हें अपने लक्ष्य हासिल करने में मदद करेंगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि सिम्बायोसिस इंटरनेशनल में पढ़ने वाले लगभग 33000 विद्यार्थियों में लड़के और लड़कियों की संख्या लगभग बराबर है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति की प्रगति न केवल नागरिकों के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह देश के विकास का एक महत्वपूर्ण मानक भी है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि सिम्बायोसिस डीम्ड यूनिवर्सिटी लैंगिक समानता को प्राथमिकता दे रही है और लड़कियों की शिक्षा के लिए उचित माहौल और सुविधाएं प्रदान कर रही है। उन्होंने सभी शैक्षणिक संस्थानों से छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने तथा उनके लिए सुरक्षित और सहायक वातावरण बनाने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने ‘सिम्बायोसिस आरोग्य धाम’ की स्थापना की सराहना की, जो चिकित्सा सेवाओं में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि सिम्बायोसिस डीम्ड यूनिवर्सिटी परिसर के आसपास के गांवों में मोबाइल फैमिली हेल्थ क्लीनिक चला रही है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को नवीनतम तकनीक के ज्ञान के साथ-साथ मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करना सभी शैक्षणिक संस्थानों का उद्देश्य होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों, संकाय सदस्यों और पूर्व छात्रों से शिक्षा प्रणाली में शोध कार्य को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वर्षों के शोध से नए आविष्कार होते हैं और चुनौतियों के नए समाधान मिलते हैं। भारत के शोधार्थी देश ही नहीं, बल्कि दुनिया की समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी शोध को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि विश्वविद्यालय में जल संसाधन प्रबंधन, स्टेम सेल, नैनोसाइंस और जलवायु परिवर्तन समेत कई विषयों पर बहु-विषयक शोध केंद्र काम कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने छात्रों को हर कार्य में उत्कृष्टता हासिल करने का प्रयास करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि छात्रों ने एक कहावत जरूर सुनी होगी – उत्कृष्टता हासिल करने का प्रयास करो, सफलता अपने आप आपके पीछे आ जाएगी। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग अधिक पैसा, बड़ा घर, बड़ी कार और अन्य चीजों की उपलब्धता को ही सफलता की निशानी मान लेते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि वे सफलता का सही अर्थ समझेंगे और ऐसा काम करेंगे जिससे दूसरों के जीवन स्तर में सुधार होगा।