शूलिनी यूनिवर्सिटी के छात्रों, कर्मचारियों और कई शैक्षणिक संस्थानों के मेहमानों ने अपनी गुरु सीरीज़ के हिस्से के रूप में सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंग यूथ (स्पिकमैके) के संस्थापक डॉ. किरण सेठ के एक बेहतरीन सत्र में हिस्सा लिया।
सत्र में एमएमयू के कुलपति, सोलन ड्रिगी कॉलेज की फैकल्टी और बीएल सेंट्रल पब्लिक स्कूल, पाइन ग्रोव स्कूल और चिन्मय स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षकों ने हिस्सा लिया। शूलिनी यूनिवर्सिटी के चांसलर पी.के. खोसला और इनोवेशन एंड मार्केटिंग के अध्यक्ष आशीष खोसला भी इस सत्र में शामिल हुए।
डॉ. सेठ ने स्वतंत्रता और अनुशासन के विषय पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्राचीन ज्ञान और आधुनिक शैक्षिक प्रथाओं के बीच संबंध बताते हुए एक प्रेरणादायक भाषण दिया। उन्होंने उन कारणों पर विचार प्रस्तुत किए कि आखिर क्यों लोग स्वतंत्रता पाने के लिए विदेश जाना चाहते थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यही स्वतंत्रता अब भारत में वर्तमान पीढ़ी के लिए उपलब्ध है। उन्होने यह भी कहा कि बहुत अधिक स्वतंत्रता, बहुत अधिक प्रतिबंधों की तरह, हानिकारक हो सकती है।
डॉ. सेठ ने कहा, “संगीत और सांस्कृतिक आंदोलनों के अध्ययन के माध्यम से, छात्र जीवन के अमूल्य सबक सीख सकते हैं।”
डॉ. सेठ ने कार्यशालाओं, प्रदर्शनों और आंदोलन द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के वीडियो क्लिप के माध्यम से स्पिकमैके के प्रभावशाली काम का प्रदर्शन किया। प्रस्तुति ने युवाओं के बीच भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देने के संगठन के प्रयासों की एक झलक प्रदान की। शूलिनी स्पिकमैके क्लब के छात्रों को डॉ. सेठ के साथ बातचीत करने और यूनिवर्सिटी के भीतर और बाहर स्पिकमैके के मिशन को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करने का अनूठा अवसर मिला।
शूलिनी यूनिवर्सिटी के मुख्य शिक्षण अधिकारी डॉ. आशु खोसला ने घोषणा की कि स्पिकमैके का शूलिनी चैप्टर इस क्षेत्र में भारत की समृद्ध पारंपरिक विरासतों को बढ़ावा देने के लिए शिमला चैप्टर के साथ जुड़ जाएगा। इस प्रेरक सत्र ने शूलिनी यूनिवर्सिटी की समग्र शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता में एक और कदम आगे बढ़ाने में मदद की, जहां छात्रों को वैश्विक दुनिया में नेतृत्व करने की तैयारी करते हुए अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया