राजगढ़ के सनातन धर्म मंदिर परिसर में धूमधाम से मनाया गया कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व

The holy festival of Krishna Janmashtami was celebrated with pomp in the Sanatan Dharma temple complex of Rajgarh.

सनातन धर्म मंदिर राजगढ़ में कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया । मौका था श्रीमद भागवत कथा का कथा के छठे दिवस पर कृष्ण भगवान के प्राकटय दिवस पर भक्तों द्वारा नाचकर खूब उत्सव मनाया गया । कथावाचक आचार्य विजय भारद्वाज ने व्यास पीठ से कृष्ण भगवान् की लीलाओं का व्याख्यान कर भक्तो को भाव विभोर किया । उन्होंने कहा कि भक्ति की तीन धाराए विश्वास ,संबंध और समपर्ण है । और इन तीन चीजो का समावेश जरूरी है । इसी प्रकार जीवन में कष्ट देने वाले तीन शूल काम . क्रोध और मोह से दूर रहना जरूरी है । उन्होंने आगे कहा कि हम जैसे कर्म करते है वैसे ही फल की प्राप्ति होती है । इसलिए मनुष्य को चाहिए की वह शुभ कर्म करके इस मनुष्य देह को सफल व सार्थक बनाये । उन्होंने कहा कि भक्ति , ज्ञान ,वैराग्य और त्याग का संयोग ही भागवत है । कलयुग में हर प्राणी के लिए श्रीमद भागवत कथा सर्वश्रेष्ठ है प्रार्थना एसी संस्कृति है । जिससे भगवान को प्राप्त किया जा सकता है । प्रार्थना से भगवान प्रसन्न होते है और कष्ट दूर होते है । उन्होंने कथा में अजामिल के चरित्र का वर्णन किया और बताया कि नारायण नाम लेने मात्र से उसका उद्दार कैसे हो गया । उन्होंने अच्छे गुरु के लक्षणों का भी व्याख्यान किया और बताया कि समदृष्टि रखने वाले ही श्रेष्ठ गुरु होते है । इसके साथ साथ आज कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व यहां पूरे क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जा रहा है । लोग सुबह से ही अपने अपने क्षेत्र के मंदिरो में माथा टेक रहे है और भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना कर रहे है ।