पानी नहीं है इस लिए सोलनवासी महंगा मिनरल वाटर खरीद कर गुजारा करने को है  मजबूर

सोलन में पानी की बूँद बूँद के  लिए सोलन वासी तरस रहे है।  यहाँ तक कि अब उन्हें  बाज़ार से मेहंगा मिनरल वाटर खरीद कर गुजारा करना पड़ रहा है।  लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी मूक दर्शक बन कर आराम फरमा रहे है। सोलन शहर को चौबीसो घंटे पानी देने के सपने दिखाने वाले नेता भी  लापता दिखाई दे रहे है।  यह आरोप सोलन के व्यापारी मुकेश गुप्ता ने लगाए।  उन्होंने कहा कि सोलन शहर में पानी की समस्या विकराल रूप ले चुकी है लेकिन कोई भी सकारात्मक कदम विभाग द्वारा नहीं उठाए गए है।    व्यापारी मुकेश गुप्ता ने  कहा  कि पानी की समस्या को हल करने के लिए संबंधित विभाग ने अभी तक कोई  डीपीआर  नहीं बनाई। जिसे देख कर ऐसा लगता है कि सोलन शहर वासियों को अभी और कई वर्ष पानी की कमी से जूझना पड़ेगा।  उन्होंने कहा कि सोलन शहर वासियों को माह में केवल तीन दिन पानी मिल रहा है। जिसकी वजह से लोगों को पानी खरीद कर गुजारा करना पड़ता है। लेकिन जिम्मेदार प्रतिनिधि  शहर वासियो की समस्या पर कोई गौर नहीं कर रहे है।  मुकेश गुप्ता ने कहा की शिमला की तर्ज पर सोलन में भी जल प्रबंधन निगम बनाई जाए ताकि वह पारदर्शिता से सभी को एक समान जल उपलब्ध करवाए।

सोलन में पानी की बूँद बूँद के  लिए सोलन वासी तरस रहे है।  यहाँ तक कि अब उन्हें  बाज़ार से मेहंगा मिनरल वाटर खरीद कर गुजारा करना पड़ रहा है।  लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी मूक दर्शक बन कर आराम फरमा रहे है। सोलन शहर को चौबीसो घंटे पानी देने के सपने दिखाने वाले नेता भी  लापता दिखाई दे रहे है।  यह आरोप सोलन के व्यापारी मुकेश गुप्ता ने लगाए।  उन्होंने कहा कि सोलन शहर में पानी की समस्या विकराल रूप ले चुकी है लेकिन कोई भी सकारात्मक कदम विभाग द्वारा नहीं उठाए गए है।
व्यापारी मुकेश गुप्ता ने  कहा  कि पानी की समस्या को हल करने के लिए संबंधित विभाग ने अभी तक कोई  डीपीआर  नहीं बनाई। जिसे देख कर ऐसा लगता है कि सोलन शहर वासियों को अभी और कई वर्ष पानी की कमी से जूझना पड़ेगा।  उन्होंने कहा कि सोलन शहर वासियों को माह में केवल तीन दिन पानी मिल रहा है। जिसकी वजह से लोगों को पानी खरीद कर गुजारा करना पड़ता है। लेकिन जिम्मेदार प्रतिनिधि  शहर वासियो की समस्या पर कोई गौर नहीं कर रहे है।  मुकेश गुप्ता ने कहा की शिमला की तर्ज पर सोलन में भी जल प्रबंधन निगम बनाई जाए ताकि वह पारदर्शिता से सभी को एक समान जल उपलब्ध करवाए।