हमारे हिदूं धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है । और गौ माता को पूजा जाता है । मगर पिछले कुछ समय से हमे अपने आसपास सड़को पर बेसहारा गौ वंश को देखने को मिल जाता है । ऐसे बेसहारा गौ वंश को संहारा देने के लिए अगल अलग स्थानो पर गौ शाला चल रही है । जिसमे हरिओम गौ शाला कोटला बड़ोग भी एक है । यहां काबिले जिक्र है कि सिरमौर जिले के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के कोटला बड़ोग में प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश की पहला गौ अभरण्य खोला गया था । और इस गौ अभरण्य का शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा किया गया था यह गौ अभरण्य लगभग सौ बीघा भूमि पर फैला है । कुछ समय बाद सरकार द्वारा इस गौ अभरण्य को हरि औम सेवा समिति के हवाले कर दिया गया हरि औम सेवा समिति पहले से ही बेसहारा गौ वंश के संरक्षण के कार्य मे लगी थी । और अब प्रदेश के इस प्रथम गौ अभरण्य का संचालन हरि औम गौ सेवा समिति द्वारा किया जा रहा है । इस समय गौ शाला में लगभग पांच सौ गौ वंश पल रहे है । और अब हरि औम गौ शाला समिति ने इस गौ शाला को आत्म निर्भर गौ शाला बनाने का निर्णय लिया है । ताकि इस गौ शाला का खर्च गौ शाला से निकलने वाले उत्पादों से ही निकल सके । जैसे गौ शाला मे बिमार गौ वंश का ईलाज का खर्च ,गौ वंश के चारे आदि खर्च आदि शामिल है । गौ शाला के सदस्य व आर्चाय सुमित शर्मा ने मिडिया के समक्ष गो महिमा का व्याख्यान करते हुए कहा कि हमारे शाश्त्रो में लिखा है कि गाय को को कभी पशु ना समझे और गाय पूरे विश्व की माता है । गौ माता के शरीर मे 33 कोटि देवी देवता निवास करते है । ऐसा वर्णन हमारे धर्म ग्रंथो में मिलता है । उन्होने कहा कि गौ माता अगर दूध देना बंद भी कर दे तो गोबर व गौ मूत्र देनख कभी बंद नही करती यही गोबर व गो मूत्र मानव जीवन के लिए किसी वरदान से कम नही है । गौबर का अर्थ हो गौ माता का वरदान और इसी से गौ कृपा धूप का निर्माण किया जा रहा है । गौबर के साथ साथ इसमे लगभग एक दर्जन वनस्पति डाली जा रही है । और जहां गौबर का धुआं उत्पन्न होता है वहां से नकारात्मक ऊर्जा भाग जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है इसी लिए इस गौ कृपा धूप का निर्माण किया गया है ताकि हम बेसहारा गौ वंश को संहारा दे सके और गौ शाला को आत्म निर्भर बना सके ।