जहाँ एक और पाश्चात्य संस्कृति भारत की समृद्ध संस्कृति को दीमक की तरह खाए जा रही है। वहीँ हिमाचल प्रदेश की छोटी सी संस्था प्रदेश की लोककला संस्कृति को बचाने का बडा कार्य कर रही है। संस्था द्वारा सरकारी स्कूल के छात्रों को प्रदेश में पहली बार पारम्परिक नाटियों की ताल और मात्राओं की जानकारी दी जा रही है। जिसमें विद्यार्थियों को हिमाचल की समृद्ध लोक संस्कृति का ज्ञान दिया जा रहा है। विद्यार्थी नाचते और गाते हुए इस शिविर का खूब आनंद उठा रहे है। यही नहीं संस्था द्वारा जनगण मन और वंदे मातरम के मूल छंदों की जानकारी भी दी जा रही है। इस मौके पर विद्यार्थीयों के साथ साथ अध्यापकों के ज्ञान में भी वर्धन हो रहा है और वह भी इसका खूब लुत्फ़ उठा रहे हैं।
संस्था के अध्यक्ष जियालाल ठाकुर ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति भारत की समृद्ध संस्कृति इस कदर हावी हो गयी है कि प्रदेश और देश की लोक संस्कृति लुप्त होती जा रही है। नई पीड़ी को नाटियों की ताल तक का पता नहीं है इस लिए उन्हें सात दिनों तक हिमाचल की समृद्ध संस्कृति और तालों की विशेष जानकारी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि संस्था ने प्रण लिया है कि वह पाश्चात्य संस्कृति को एक बार फिर से हरा कर हिमाचल की संस्कृति को बचाएंगे और प्रदेश के युवाओं को महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाएंगे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी बेहद लगन के साथ यह सब सीख रहे हैं और आनंद ले रहे है।