कांग्रेस पार्टी की ‘विरासत टैक्स’ वाली सोच को उजागर
कांगड़ा/हमीरपुर, भाजपा प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने आज जसवा परगपुर मंडल के पन्ना प्रमुख सम्मेलन में भाग लिया उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा की भाजपा के लक्ष्य 400 पार को भाजपा के पन्ना प्रमुख पूरा करेंगे। भाजपा का पूरे देश में एक मजबूत संगठन है और हिमाचल प्रदेश में 8000 बूथों पर भारतीय जनता पार्टी कार्य कर रही है।
भाजपा का कार्यकर्ता आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है और इन आम चुनावों में भाजपा देश में 400 पार और प्रदेश में चार की चार सीटें जीतेगी।
अविनाश राय खन्ना ने कांग्रेस नेता राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी के सलाहकार सैम पित्रोदा द्वारा कांग्रेस पार्टी की ‘विरासत टैक्स’ वाली सोच को उजागर करने पर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए जम कर निशाना साधा और कहा कि सैम पित्रोदा की टिप्पणी के बाद कांग्रेस पार्टी पूरी तरह बेनकाब हो गई है। खन्ना ने कहा कि धन पुनर्वितरण पर सैम पित्रोदा के बयान से कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति उजागर हो गई है। उन्होंने बहुसंख्यकों की संपत्ति को जब्त करने और इसे अल्पसंख्यकों के बीच वितरित करने के कांग्रेस पार्टी के इरादे की एक तरह से पुष्टि कर दी है। यह एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि भारत के गरीबों, दलितों, युवाओं, जनजातियों और पिछड़े वर्गों का सशक्तिकरण कभी भी कांग्रेस के एजेंडे में नहीं था। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि सैम पित्रोदा की टिप्पणी के बाद कांग्रेस पार्टी के चेहरे से पूरी तरह नकाब उतर गया है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले कांग्रेस के घोषणा पत्र में ‘सर्वे’ का जिक्र किया गया। मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए बयान है कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है। ऐसा विचार ही कांग्रेस की विरासत रही है। अब सैम पित्रोदा ने अमेरिका का हवाला देते हुए टिप्पणी की है कि धन के बंटवारे पर विचार-विमर्श होना चाहिए और विरासत टैक्स पर बात होनी चाहिए। खन्ना ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जब कांग्रेस की इस सोच को जनता के सामने उजागर किया कि कांग्रेस की टेढ़ी नजर अब लोगों की संपत्ति पर है तो हुल गांधी, सोनिया गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी बैकफुट पर आ गई। कांग्रेस के नेता कहने लगे कि ये उनका मकसद नहीं था लेकिन सैम पित्रोदा के बयान ने देश के सामने कांग्रेस का मकसद साफ और स्पष्ट कर दिया है कि वो देश की जनता की निजी संपत्ति का सर्वेक्षण कर उसे सरकारी खजाने में डालना चाहते हैं।