चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन भी शूलिनी मंदिर में लगा भक्तो का तांता, माता कूष्मांडा की की उपासन

 

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन भी आज सुबह से ही मां शूलिनी के दर पर भक्तो का तांता लगा रहा सुबह सवेरे 6:00 से ही श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे और शूलिनी माता के साथ-साथ मां कुष्मांडा की भी पूजा अर्चना की श्रद्धालुओं से जब बात की तो उनका कहना है कि आज चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है. इस दिन नवदुर्गा के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की उपासना की जाती है. कहते हैं देवी ने अपनी मंद मुस्कुराहट और अपने उदर से इस ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था जिसके चलते इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है. इनकी उपासना शांत मन के साथ करनी चाहिए. मां कूष्मांडा की पूजा से अजेय रहने का वरदान मिलता है. कहते हैं जब संसार में चारों ओर अंधियारा छाया था, तब मां कूष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी. इसलिए इन्हें सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदिशक्ति भी कहते हैं.

मां कूष्मांडा का स्वरूप

माना जाता है कि देवी भगवती के कूष्मांडा स्वरूप ने अपनी मंद मुस्कुराहट से ही सृष्टि की रचना की थी इसलिए देवी कूष्मांडा को सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदि शक्ति माना गया है. देवी कूष्मांडा को समर्पित इस दिन का संबंध हरे रंग से जाना जाता है. माता रानी की आठ भुजाएं हैं जिसमें से सात में उन्होंने कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत का कलश, चक्र, और गदा लिया हुआ है. माता के आठवें हाथ में जप माला है और मां सिंह के वाहन पर सवार हैं.