23 मार्च का दिन हर वर्ष शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक भगत सिंह शहीद हुए थे। भारत को अंग्रेजों की सदियों से चली आ रही गुलामी से आजाद कराने के लिए कई सपूतों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी। कई बार क्रांतिकारी जेल गए, अंग्रेजों की प्रताड़ना झेली लेकिन हार नहीं मानी और उन्हें देश से खदेड़कर ही माने। इन्हीं क्रांतिकारियों में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का नाम बेहद गर्व के साथ लिया जाता है। इसी उपलक्ष्य पर आज एसएफआई के युवाओं द्वारा एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस विषय पर ज्यादा जानकारी देते हुए युवा राकेश कुमार ने बताया कि आज इस रक्तदान शिविर में 60 यूनिट से अधिक एकत्र किया जाएगा। और युवाओं से भगवान किया कि वह समझ में फैली गलत कुरीतियों से दूर होकर समाज के हित में कार्य करें।
शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु युवाओं के लिए आदर्श और प्रेरणा है। लाहौर षड़यंत्र के आरोप में तीनों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। 24 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी दी जानी थी । लेकिन अंग्रेजी हुकूमत को डर था कि उन्हें फांसी के फंदे पर लटकाने पर देशवासी आक्रोशित हो जाएंगे। ऐसे में तीनों वीर सपूतों को तय तारीख से एक रात पहले गुपचुप तरीके से फांसी दे दी गई।