भारत के वीर सपूत क्रांतिकारी शहीद-ए-आजम भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव ने साल 1931 में आज ही के दिन देश की खातिर हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया था
_23 मार्च, 1931 को अंग्रेजी हुकूमत ने भारत के तीन सपूतों- भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटका दिया था. शहीद दिवस के रूप में जाना जाने वाला यह दिन यूं तो भारतीय इतिहास के लिए काला दिन माना जाता है, पर स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को देश की वेदी पर चढ़ाने वाले यह नायक हमारे आदर्श हैं. इन तीनों वीरों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए ही शहीद दिवस मनाया जाता है.
तीनों क्रांतिकारियों की इस शहादत को आज पूरा देश याद कर रहा है. तो वही लक्कड़ बाजार सोलन में भी आज आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं ने शहीदों की शहादत को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की,,
हमारे सहयोगी से बातचीत करते हुए आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राजीव शर्मा का कहना है कि आज का दिन यूं तो देश के इतिहास में काला दिन माना जाता है परंतु इन वीर जवानों की शहादत के चलते आज हमे आजादी मिली है ,, परंतु भारतीय जनता पार्टी धनबल का उपयोग कर लोकतंत्र की हत्या कर रही है जो भी उनके विरोध में खड़ा होता है उसे वह पुलिस और ईडी का डर दिखा देते हैं असली स्वतंत्रता हमें कभी मिल सकती है जब हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र होंगे अगर इस तरह से लोकतंत्र की हत्या होती रही तो ऐसी आजादी का क्या फायदा।