सिरमौर जिले क्षेत्र के दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग आपसी भाईचारे जैसी परंपराएं कायम रखे हुए है. सिरमौर जिले का जनजातीय हाटी क्षेत्र ऐसी ही अनोखी परंपराओं के लिए जाना जाता है. यहां सदियों सदियों से चली आ रही परंपराओं का आज भी निर्वाह हो रहा है. क्षेत्र में आज भी औजार बनाने के बदले लौहार पैसे नही बल्कि अनाज लेते हैं. जिसको फसलाना कहा जाता है.
लौहारों और कृषक वर्ग के बीच “फसलाना” परंपरा आज भी कायम है. क्षेत्र के लोहार अन्य सभी किसानों के कृषक औजार बनाते हैं, लेकिन इसके बदले पैसा नहीं लेते हैं. फसलाना यानी अनाज हर 6 महीने बाद दिया जाता है. 6 महीने बाद फसल से 30 किलो अनाज लौहारों को मेहनताने के रूप में दिया जाता है. लौहारों का कहना है कि हमारे बुजुर्गों ने सदियों पहले यह परंपरा शुरू की है लिहाजा आज भी हम इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं.