एक अप्रैल को विराजमान हो जाएंगी माता शूलिनी अपने गर्भगृह में, 27 से शुरू होंगे अनुष्ठान
सोलन। नगर की अधिष्ठात्री देवी शूलिनी माता लगभग 100 तक गर्भगृह से बाहर रहने के बाद अब अपने गर्भगृह पर विराजमान होने को तैयार है। विदित रहे कि शूलिनी माता मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन इन दोनों गर्भ ग्रह का जीर्णोद्वार करवा रहा है वर्षों तक मरम्मत को तरस रहे मंदिर के गर्भगृह के दिन सबसे पहले बदलने का निर्णय लिया गया। इसी वजह से पिछले 100दिन से भी ज्यादा समय से माता की मूर्तियां गर्भ के गृह के बाहर हॉल में रखी गई और अब 27 मार्च से होने वाले अनुष्ठान के बाद मंदिर के गर्भगृह में विधि विधान से माता को उनके गर्भगृह में बिठाने की तैयारी शुरू हो गई है। बताया गया है कि एक अप्रैल को माता अपने गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगी।
माता को पुन: गर्भगृह में विराजमान करने के लिए कार्यक्रम के अनुसार गर्भगृह का पुनरोद्धार कार्य 26 मार्च को पूरा हो जाएगा। इसके बाद 27 मार्च को मंदिर में अनुष्ठान शुरू होंगे। इसके तहत मंदिर में पाठ कराया जाएगा। इसके बाद एक अप्रैल को माता की मूर्ति को विधि विधान के साथ गर्भगृह में स्थापित कर दिया जाएगा। हालांकि मंदिर के जीर्णोद्धार का काम अभी भी पूरा नहीं होगा। शेष काम लगातार चलते रहेंगे, लेकिन यह सारे काम इस वर्ष शूलिनी मेले से पहले पूरे करने का लक्ष्य रखा गया है।
मंदिर के गर्भगृह का निर्माण सागवान की लकड़ी से किया गया है। जिससे गर्भगृह की सुदंरता निखर कर सामने आ रही है। हिमाचली शैली में बनाए गए गर्भगृह को आम जनता एक अप्रैल के बाद से निहार सकती है। इन दिनों मंदिर के गर्भगृह के निर्माण का काम अंतिम चरण में चल रहा है।