हैदराबाद में विशेष सीबीआई कोर्ट ने आज साल 2010 में 1936 असिस्टेंट स्टेशन मास्टर और असिस्टेंट लोको पायलट की भर्ती के लिए प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में दोषियों को सजा सुनाई है. जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB), मुंबई के तत्कालीन अध्यक्ष सतेंद्र मोहन शर्मा और नौ अन्य लोगों को 5 साल के कठोर कारावास और 7.87 लाख रुपये के जुर्माने का एलान किया है. इस मामले में सजा सुनाए गए लोगों में आसन-मैंगलोर रेल विकास निगम के पूर्व सीईओ एके जगन्नाधम भी शामिल हैं.
बता दें, कोर्ट ने सतेंद्र मोहन शर्मा पर 1.75 लाख का जुर्माना लगाया है. वहीं, जगन्नाधम पर 1.31 लाख रुपये और सभी दस दोषियों पर कुल मिलाकर 7.87 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. 2010 में रेलवे बोर्ड द्वारा असिस्टेंट स्टेशन मास्टर और असिस्टेंट लोको पायलट पदों के लिए परीक्षा आयोजित की थी. उस परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र लीक हो गए थे. परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में सीबीआइ ने 15 जून 2010 को आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. आरोप है कि आरोपियों ने बिचौलियों के जरिए अभ्यर्थियों से 3.5 लाख से 4.5 लाख रुपये तक वसूले थे. आरोपियों के घरों और दफ्तरों में ली गई तलाशी के दौरान सीबीआई ने 36.9 लाख रुपये जब्त किए थे.
पेपर लीक मामले में 13 सितंबर 2010 को सीबीआई ने 15 लोगों को आरोपी बनाते हुए एक आरोप पत्र दाखिल किया था. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सीबीआई कोर्ट ने दस आरोपियों को 5-5 साल कैद और जुर्माने की सजा सुनाते हुए फैसला सुनाया. जबकि चार को बरी कर दिया गया, जबकि मामला लंबित रहने के दौरान एक की मृत्यु हो गई. सजा पाने वालों में मध्यस्थों में से एक, मध्यस्थ जगन्नाथम शरीन कुमार और पी. अशोक कुमार, तत्कालीन भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष, सीईओ, जगन्नाथम रमेश, जगन्नाथम तिरूपतिया, एम. शेषु नारायणमूर्ति, विवेक भारद्वाज, सृजन जगन्नाथम और श्री राम विजयशंकर शामिल थे.