देश को आजाद हुए 77 साल हो गए हैं और हम अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। इस बीच इंडियन ऑटो इंडस्ट्री के अंदर खूब सारी उथल-पुथल देखी गई है। अपने इस लेख में हम आपके लिए भारतीय वाहन उद्योग के आदि से लेकर अनंत तक की कहानी लेकर आए हैं।

ये स्टोरी थोड़ी छोटी रहने वाली है, इसलिए हम गागर में सागर भरने का प्रयास करेंगे। आइए, इस गणतंत्र दिवस पर ऑटो इंडस्ट्री द्वारा प्राप्त की गई सफलताओं की गणना कर लेते हैं।

देश के पहले कार मालिक

जमशेदजी टाटा कार रखने वाले पहले भारतीय थे। 1897 में भारत में आने वाली पहली कार द क्रॉम्पटन ग्रीव्स बॉस, फोस्टर नाम के एक अंग्रेज के पास थी। हालांकि, इस कार को अगले वर्ष टाटा समूह के मालिक जमशेदजी टाटा ने खरीद लिया। इस तरह, वह कार खरीदने वाले पहले भारतीय बन गए।

देश की पहली कार कंपनी

हिंदुस्तान मोटर्स देश की सबसे पुरानी कार निर्माता कंपनी है। इसे गुजरात में स्थापित किया गया था और ये एंबेसडर ब्रांड के तहत कारों का निर्माण करती थी।

इसकी संरचना और डिजाइन ब्रिटेन की मॉरिस ऑक्सफोर्ड से काफी मिलती-जुलती थी। ऐसा इसलिए है, क्योंकि हिंदुस्तान मोटर्स की स्थापना में मॉरिस ऑक्सफोर्ड मॉडल के उत्पादन के लिए मॉरिस मोटर्स के साथ तकनीकी सहयोग किया गया था।

पहले इसका नाम हिंदुस्तान एंबेसडर था और बाद में इसे एचएम एंबेसडर भी कहा जाने लगा। एम्बेसडर का उत्पादन 1948 में हिंदुस्तान मोटर्स में शुरू हुआ। गुजरात के बाद यह कंपनी कलकत्ता(कोलकाता) ट्रांसफर की गई थी।

देश की पहली इलेक्ट्रिक कार

भारत में निर्मित पहली इलेक्ट्रिक कार का नाम Lovebird था। ये कार 1993 में Eddy Electric द्वारा बनाई गई थी। Lovebird इलेक्ट्रिक कार को सबसे पहले दिल्ली में आयोजित किए गए Auto Expo के दौरान जनता के सामने पेश किया गया था।

कहानी में थोड़ा ट्विस्ट है!

देश में सबसे पहले हिंदुस्तान मोटर्स ने वाहन निर्माण शुरू किया था, जो पूरी तरह से भारतीय कार मैन्युफैक्चरर नहीं थी। पहली पूर्ण स्वदेशी कार कंपनी की बात करें, तो ये खिताब Tata Motors के पास है। इस तरह Tata Indica सबसे पहली मेड इन इंडिया(पूर्ण स्वदेशी) कार बन जाती है।