हिमाचल के ढाई लाख कर्मचारियों और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से जुड़े एक अहम मसले पर सुखविंदर सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है. कर्मचारियों और बार एसोसिएशन के विरोध के बावजूद हिमाचल प्रदेश में एचपी स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल को फंक्शनल करने की तैयारी है. इस मसले पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में गठित सर्च एंड सिलेक्शन कमेटी ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया तेज कर दी है.
सर्च कमेटी ने इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन मांगे हैं. इसके लिए एक महीने की अवधि तय की गई है. सर्च एंड सिलेक्शन कमेटी आवेदन मिलने के बाद स्क्रीनिंग करेगी और चयन कर आवेदकों का एक पैनल बनाएगी. उसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. फिर केंद्र सरकार ट्रिब्यूनल के चेयरमैन व मेंबर्स की नियुक्ति करेगी. ट्रिब्यूनल में एक चेयरमैन व तीन मेंबर्स होंगे. आयोग के चेयरमैन हाईकोर्ट से जस्टिस होते हैं. सभी पदों के लिए पात्रता के अलग मापदंड हैं.
उल्लेखनीय है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने हिमाचल में एचपी स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल खोलने का फैसला लिया है. कैबिनेट में ये फैसला लिया गया था. उसके बाद बार एसोसिएशन ऑफ हिमाचल हाईकोर्ट ने इस फैसले के खिलाफ सीएम, राज्यपाल आदि को ज्ञापन सौंपा था. वहीं, कुछ कर्मचारी संगठन भी इसके विरोध में हैं. बार एसोसिएशन का तर्क है कि राज्य में ट्रिब्यूनल बंद होने के बाद हाईकोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाई गई थी. कर्मचारियों से जुड़े केसों का निपटारा हाईकोर्ट में हो रहा है. ट्रिब्यूनल खुलने की स्थिति में न्याय में देरी होगी. कारण ये है कि ट्रिब्यूनल के फैसलों को बाद में हाईकोर्ट में चुनौती दी जाती है, इससे देरी होती है.
कर्मचारियों और बार एसोसिएशन की आपत्तियों के बावजूद राज्य सरकार ने इस दिशा में फाइनल स्टेप उठाया है. केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से इस बारे में राज्य सरकार ने सैद्धांतिक अनुमति ले ली थी और उसके बाद ट्रिब्यूनल के गठन की प्रक्रिया निरंतर जारी है. ट्रिब्यूनल में एक चेयरमैन के अलावा एक न्यायिक सेवा सदस्य और दो प्रशासनिक सदस्य होंगे. इन सभी का चयन हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली कमेटी करेगी. चेयरमैन के पद के लिए पात्रता हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त जज की है.
वहीं, न्यायिक सदस्य पद के लिए अतिरिक्त कानून सचिव स्तर के अधिकारी पात्र हैं. प्रशासनिक सदस्य की नियुक्ति के लिए पात्रता राज्य सरकार के प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी की है. साथ ही केंद्र सरकार में अतिरिक्त सचिव स्तर का अधिकारी भी पात्र है. सर्च एंड सिलेक्शन कमेटी में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव और हिमाचल प्रदेश लोकसेवा आयोग के चेयरमैन शामिल हैं.
ट्रिब्यूनल के गठन और बंद होने का इतिहास: हिमाचल प्रदेश में रोजगार का बड़ा सेक्टर सरकारी ही रहा है. यहां सरकारी कर्मचारियों की संख्या छोटे राज्य के हिसाब से बहुत अधिक है. सरकारी कर्मचारियों के सर्विस मैटर्स सुलझाने के लिए पहली बार वर्ष 1986 में राज्य प्रशासनिक प्राधिकरण की व्यवस्था शुरू की गई. प्रशासनिक प्राधिकरण यानी एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल शुरू होने के बाद कर्मचारियों के सर्विस मैटर्स निपटारे के लिए हाईकोर्ट की बजाय यहां पर आने लगे. फिर वर्ष 2008 में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार के समय में ट्रिब्यूनल को बंद कर दिया गया. जो मामले निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल में थे, उन्हें हाईकोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया. ये व्यवस्था सात साल तक चलती रही.
वर्ष 2015 में 28 फरवरी को तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने इस प्राधिकरण का फिर से गठन कर दिया. पूर्व की जयराम सरकार वर्ष 2017 में सत्ता में आई. जयराम सरकार ने 3 जुलाई 2019 में कैबिनेट मीटिंग में फिर से ट्रिब्यूनल को बंद कर दिया. इस प्रकार देखा जाए तो कांग्रेस सरकार ट्रिब्यूनल की पक्षधर कही जा सकती है. कांग्रेस सरकार के समय में ही वर्ष 1986 में ये व्यवस्था पहली बार आरंभ की गई. फिर दो बार भाजपा सरकारों ने ट्रिब्यूनल को बंद किया और दो ही बार कांग्रेस सरकारों ने इसे शुरू किया.
वर्ष 2015 में वीरभद्र सिंह सरकार ने और अब 2023 में सुखविंदर सिंह सरकार ने बंद किए गए प्राधिकरण को पुनः: खोला है. अब राज्य सरकार की तरफ से इसे फिर से फंक्शनल करने के लिए सारी प्रकियाओं को तेज किया गया है. जिस रफ्तार से प्रक्रिया चल रही है, उसमें मार्च महीने में ट्रिब्यूनल के फिर से फंक्शनल होने के आसार हैं.