22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने हिमाचल में की सरकारी छुट्टी की मांग

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. जिसे लेकर भाजपा मंडल स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है. वहीं, अब भाजपा ने हिमाचल प्रदेश सरकार से 22 जनवरी को छुट्टी का प्रावधान करने की मांग उठाई है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि हिमाचल के सभी राम भक्त 22 जनवरी के कार्यक्रम को अपने-अपने गांव के मंदिर में देखना चाहते हैं, इसलिए 22 जनवरी को छुट्टी का प्रावधान किया जाना चाहिए.

डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि 22 जनवरी का दिन भारत वर्ष के 1000 साल के सांस्कृतिक इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिन है. जब 500 साल के संघर्ष के बाद, हजारों बलिदानों के बाद श्री राम जन्म स्थान पर अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण व रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है. उन्होंने कहा कि ये केवल राम मंदिर का निर्माण नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक भारत का उदय है. सैकड़ों सालों तक देश पीएम नरेंद्र मोदी के इस योगदान को याद करेगा.

राजीव बिंदल ने कहा कि 1947 में देश को राजनीतिक आजादी मिली, लेकिन 22 जनवरी 2024 को सांस्कृतिक आजादी की शुरुआत होगी और भारत के खोए हुए गौरव के पुनर्जागरण का समय शुरू हुआ है. डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस की केंद्र की सरकारों और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अदूरदर्शिता के कारण राम मंदिर का निर्माण लटका रहा. 50 साल रामलला ताले में रहे व 30 साल टेंट में विराजमान रहे. आज उन करोड़ों राम भक्तों की मनोकामना पूरी हो रही है, जिन्होनें श्री राम मंदिर निर्माण के कार्य के लिए अपना योगदान दिया.

बिंदल ने कहा कि पूरे देश में और हिमाचल प्रदेश में भी 22 जनवरी को इस अलौकिक घटना को देखने के लिए करोड़ों-करोड़ों लोग लालायित हैं. इस दिन हिमाचल के हर मंदिर में राम भजन, राम धुन, भंडारा इत्यादि आयोजित होंगे और लोग अपने आराध्य श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को देखेंगे. उन्होंने कहा कि यह बदलता हुआ भारत है जो पीएम मोदी के नेतृत्व में राम राज्य की कल्पना कर रहा है, परन्तु खेद का विषय है कि इस अलौकिक घटना का साक्षी बनने से कांग्रेस पार्टी के नेता परहेज कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने समय-समय पर श्री राम के अस्तित्व को नकारा है, राम मंदिर के अस्तित्व को नकारा है. इसी कारण वे भव्य, दिव्य, आलौकि क्षण का सामना नहीं कर रहे हैं.