समूचा देश 22 जनवरी का इंतजार कर रहा है। साथ ही उन घटनाओं व कुर्बानियों को भी याद कर रहा है, जिनकी बदौलत प्रभु श्री राम मंदिर का सपना साकार होने जा रहा है। मंडी के दो कारसेवक 43 साल बाद भी अयोध्या से नहीं लौटे है।
मंडी निवासी स्व. इंद्र सिंह का परिवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्व हिंदू परिषद की विचारधारा से जुड़ा रहा है। इंद्र सिंह संघ बड़े प्रचारकों में से थे। अमृतसर (Amritsar), दिल्ली (Delhi), मुंबई (Bombay) में संघ के लिए कार्य किया, उनके 7 पुत्र है। खुद इंद्र सिंह व बेटे मुनेंद्र पाल, बलवंत पाल ,भूपेंद्र पाल कारसेवा के लिए समय-समय पर अयोध्या जाते रहते थे। बलवंत पाल व भूपेंद्र पाल ने शादी नहीं की थी व संघ के कार्यों के चलते शिमला व चंबा में रहते थे। कार सेवा कर चुके उनके भाई मुनेंद्र पाल करसोग में रहते हैं।
1991 में बलवंत पाल व भूपेंद्र पाल कारसेवा के लिए अयोध्या गए, लेकिन उसके बाद वापिस लौटकर नहीं आए। 68 वर्षीय भाई सुरेंद्र पाल वैद्य बताते हैं कि उनके भाई कारसेवा के लिए अयोध्या जाते रहते थे। लेकिन परिवार को आज दिन तक इस बात का पता नहीं चल सका कि आखिर उनके भाई कहां लापता हो गए। हालांकि इस संदर्भ में उस वक्त ही शिमला और चंबा में एफआईआर (FIR) भी दर्ज करवाई गई थी, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल पाया।
सुरेंद्र पाल वैद्य के परिवार को इस बात का गम तो है कि दो भाईयों का आज दिन तक पता नहीं चल सका, लेकिन इस बात की खुशी है कि परिवार के लोगों ने जिस राम मंदिर को लेकर कार सेवा के माध्यम से योगदान दिया वो सपना पूरा होने जा रहा है। कारसेवा में अहम योगदान देने वाले इनके पिता स्व. इंद्र सिंह भी चार वर्ष पूर्व अपनी सांसारिक यात्रा को पूरा करके प्रभु चरणों में लीन हो चुके हैं। सुरेंद्र वैद्य ने बताया कि वे 10 फरवरी को परिवार सहित अयोध्या जाकर प्रभु श्री राम के नवनिर्मित मंदिर के दर्शन करेंगे।