भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह वीरवार को अयोध्या (Ayodhya) रवाना हो गए हैं। कुल्लू से उन्हें ढोल-नगाड़ों के साथ रवाना किया गया हैं। सुल्तानपुर स्तिथ भगवान रघुनाथ के मुख्य सेवक यानि छड़ीबरदार महेश्वर सिंह अयोध्या में स्थापित होने बाले भगवान राम जी को चांदी की चरण पादुका लेकर निकले हैं। चरण पादुका (खड़ाऊं) के अलावा चांउर, अंग वस्त्र फागू आदि भी भगवान रघुनाथ जी को भेंट करने के लिए अपने साथ ले गए हैं।
खास बात यह है कि कुल्लू से अठारह करडू देवी-देवताओं के प्रतिनिधि के रूप में भगवान रघुनाथ जी के प्रमुख छड़ी बरदार महेश्वर सिंह अयोध्या के लिए निकले हैं।
क़ुल्लू स्तिथ रघुनाथ के मंदिर में वीरवार सुवह माता हिडिंबा, दोचा-मोचा, त्रिपुरा सुंदरी सहित देव समाज के प्रतिनिधि महेश्वर सिंह को विदा करने पहुंचे और महेश्वर सिंह को देव परम्परा के अनुसार यहां से रवाना किया।
पुराना है कुल्लू और अयोध्या का नाता
कुल्लू और अयोध्या का काफी पुराना नाता रहा है। 1648 को भगवान रघुनाथ की मूर्ति को अयोध्या से कुल्लू लाया गया था। इसके बाद कुल्लू के राजा ने अपना सारा राजपाठ भगवान रघुनाथ को सौंप दिया और खुद भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार बन गए। इसके बाद कुल्लू जिले में भगवान रघुनाथ की पूजा की जाने लगी।
आजतक यहां भगवान रघुनाथ जी का मंदिर व मूर्तियां है और हर पहर भगवान रघुनाथ जी की पूजा होती है। यही नहीं भगवान रघुनाथ जी के हर त्यौहार यहां मनाए जाते हैं जिसमें देव महाकुंभ दशहरा पर्व भी शामिल है। अब अयोध्या में मंदिर बनने के बाद यहां के लोगों में भी खुशी की लहर दौड़ पड़ी है।