कहते हैं जहां चाह होती है वहां रास्ते अपने आप बन जाते हैं. एक दुनिया घरों में रहती है तो एक सड़कों पर. सड़कों पर रहने वाले इन लोगों के लिए दो वक्त की रोटी भी आफत है ऐसे में बच्चों को पढ़ाना बहुत ही कठिन बात है. लेकिन किरण काले की चाह ने उनके लिए रास्ते खोल दिए और आज उन्होंने वो सफलता पाई है जो उनके जैसे बच्चों के लिए आसान नहीं होती.
फुटपाथ पर रह कर पास की दसवीं
महाराष्ट्र के ठाणे शहर में फुटपाथ पर जीवन बिताने वाली एक छात्र ने महाराष्ट्र बोर्ड की 10वीं कक्षा की परीक्षा प्रथम श्रेणी के साथ पास कर ली है. इस छात्र का नाम किरण काले है. किरण सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए चलाये जाने वाले एक स्कूल के छात्र हैं. उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से साबित कर दिया है कि धैर्य और प्रयासों से प्रतिकूल परिस्थितियों को भी हराया जा सकता है.
सिग्नल शाला से की पढ़ाई
ठाणे के तीन हाट नाका फ्लाईओवर के नीचे सड़क पर जीवन बिताने वाले बच्चों के लिए एक स्कूल स्थापित किया गया है. जिसका नाम ‘सिग्नल शाला’ है, किरण ने इसी स्कूल में पढ़ते हुए परीक्षा में 60 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं.
मां ने फूल बेचकर पढ़ाया
शुक्रवार को महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं कक्षा के रिजल्ट घोषित किए गए. नाम से ही स्पष्ट होता है कि ‘सिग्नल शाला’ ट्रैफिक लाइट के महत्व को दर्शाता है. ये स्कूल सड़क पर रहने को मजबूर बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करता है. किरण भी इसी स्कूल के छात्र हैं. किरण के पिता का कई साल पहले निधन हो गया था. जिसके बाद उनकी मां ने सड़क पर फूल बेच कर उन्हें पाला. वो परिवार की इकलौती कमाने वाली हैं. इनका पूरा परिवार फुटपाथ पर रहता है.
‘सिग्नल शाला’ को ठाणे नगर निगम और गैर सरकारी संगठन समर्थ भारत व्यासपीठ द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाता है. गैर सरकारी संगठन से जुड़े एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि किरण ने आठ साल की उम्र में स्कूल जाना शुरू किया था. उसने शहर में स्थित सरस्वती माध्यमिक विद्यालय के माध्यम से 10वीं कक्षा की परीक्षा दी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले आठ वर्षों में सिग्नल शाला में पढ़ने वाले आठ बच्चों ने 10वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की है.
पुलिस अधिकारी बनना चाहते हैं किरण
TOI की रिपोर्ट के अनुसार किरण ने अपनी इस सफलता पर बताया कि, “यह अस्तित्व की लड़ाई थी और हम एक दिन के व्यवसाय को छोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकते थे, जिसके कारण मैं अक्सर अपनी मां के साथ फूल खरीदने और बाद में उन्हें बेचने के लिए जाता था । मैंने कई बार स्ट्रीटलाइट के नीचे पढ़ाई की.” किरण ने बताया कि कैसे उन्होंने साकेत पाइपलाइन के नीचे अपनी टिन की झोंपड़ी में पढ़ाई, स्कूल जाने, अपनी मां की मदद करने और अपने वृद्ध दादा-दादी की देखभाल के लिए समय निकाला.
सिग्नल शाला परिसर में स्कूल के साथियों के साथ अपनी सफलता का जश्न मनाते हुए वह गर्व से झूम उठे. किरण ने कहा कि, “वह एक पुलिस अधिकारी बनना चाहते हैं और अपनी मां के लिए एक घर खरीदना चाहते हैं.”