अनु अग्रवाल बर्थडे: झुग्गियों में योग सिखा रहीं ‘आशिकी’ वाली अनु, 7 साल में बदल चुकी हैं लाखों लोगों की जिंदगी

  • झुग्गियों में योग सिखा रहीं आशिकी गर्ल अनु अग्रवाल, बदली लाखों लोगों की जिंदगी

    झुग्गियों में योग सिखा रहीं ‘आशिकी गर्ल’ अनु अग्रवाल, बदली लाखों लोगों की जिंदगी

    जब भी अनु अग्रवाल की बात होती है, तो ‘आशिकी’ के स्टारडम के साथ-साथ उनका वो भयावह एक्सीडेंट, कोमा और कई सारे फ्रैक्चर की दिल दहला देने वाली कहानी याद आ जाती है। अनु अग्रवाल के साथ जो हुआ, वह किसी और के साथ होता तो बुरी तरह टूट जाता और दोबारा उठ भी नहीं पाता। लेकिन अनु अग्रवाल न सिर्फ उस बुरे दौर से बाहर निकलीं, बल्कि अपने पैरों पर दोबारा उठ खड़ी हुईं। और तो और उन्होंने दूसरों की जिंदगी रोशन करने का फैसला किया। Anu Aggarwal 28 साल से फिल्मों और फिल्मी पर्दे से दूर हैं और 11 जनवरी को वह 55 साल की हो गईं। शोबिज से दूर रहकर वह कमजोर और तंग लोगों की जिंदगी रोशन कर रही हैं। अब तक वह ढाई लाख लोगों की जिंदगी संवार चुकी हैं। जानिए अनु अग्रवाल अब क्या काम कर रही हैं और किस हाल में हैं, जानिए: सभी तस्वीरें: www.facebook.com/anuaggarwal/

  • आशिकी से स्टारडम, बैग में नोट भरकर एक्ट्रेस के पास जाते थे प्रोड्यूसर्स

    ‘आशिकी’ से स्टारडम, बैग में नोट भरकर एक्ट्रेस के पास जाते थे प्रोड्यूसर्स

    अनु अग्रवाल ने 1988 में फिल्मों की दुनिया में कदम रखे थे, लेकिन 1990 में आई फिल्म ‘आशिकी’ ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया था। इस फिल्म के बाद से अनु अग्रवाल ‘आशिकी गर्ल’ के नाम से मशहूर हो गईं। बाद में उन्होंने कुछ और फिल्में कीं। बताया जाता है कि ‘आशिकी’ के बाद फिल्ममेकर्स और प्रोड्यूसर्स बैग में नोट भरकर अनु अग्रवाल को अपनी फिल्मों के लिए साइन करने जाते थे।

  • बिहार स्कूल ऑफ योगा से जुड़ीं, कर्मयोगी बन गईं अनु अग्रवाल

    बिहार स्कूल ऑफ योगा से जुड़ीं, कर्मयोगी बन गईं अनु अग्रवाल

    साल 1997 में अनु अग्रवाल ने बिहार स्कूल ऑफ योगा जॉइन कर लिया और वहीं पर कर्मयोगी की तरह रहने लगीं। उन्होंने फिल्में छोड़कर कर्मयोगी बनकर रहने का फैसला कर लिया था। इसी के लिए वह मुंबई से अपना सारा सामान समेटने जा रही थीं। लेकिन तभी भयानक एक्सीडेंट हो गया। इस एक्सीडेंट के बाद अनु अग्रवाल कोमा में चली गई थीं। उनकी याददाश्त खो गई।

  • डॉक्टर ने कहा- बस दो या तीन साल जीएंगी अनु अग्रवाल

    डॉक्टर ने कहा- बस दो या तीन साल जीएंगी अनु अग्रवाल

    अनु अग्रवाल करीब डेढ़ महीने तक कोमा में रहीं। डॉक्टर भी उनके बचने की उम्मीद खो चुके थे। एक इंटरव्यू में अनु अग्रवाल ने बताया था कि जब उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया तो डॉक्टर ने मम्मी-पापा से कहा था कि यह मुश्किल से दो-तीन साल ही जी पाएंगी। दरअसल अनु अग्रवाल की हालत ऐसी हो गई थी कि उनका दिमाग भी ठीक से काम नहीं करता था। उन्हें कुछ याद नहीं था। यहां तक कि उन्होंने एल्फाबेट्स तक दोबारा याद किए। फोटो: ETimes

  • घर और सामान बेच दिया, सिंर मुंडवाया और संन्यासिन बन गईं

    घर और सामान बेच दिया, सिंर मुंडवाया और संन्यासिन बन गईं

    अनु अग्रवाल एक्सीडेंट से उबरीं तो पूरी तरह से योग और आध्यात्म की ओर मुड़ गईं। उन्होंने खुद को भी योग के जरिए ही ठीक किया था। खुद ठीक होने के बाद अनु अग्रवाल संन्यासिन बन गईं और अपना सिर मुंडवा लिया। यहां तक कि अनु अग्रवाल ने अपना घर और बाकी सामान भी बेच दिया।

  • अनु अग्रवाल ने बदली लाखों लोगों की जिंदगी, ऐसे कर रहीं मदद

    अनु अग्रवाल ने बदली लाखों लोगों की जिंदगी, ऐसे कर रहीं मदद

    ​अनु अग्रवाल ने कुछ साल संन्यासिन की तरह गुजारे और फिर AAF यानी ‘अनु अग्रवाल फाउंडेशन’ की शुरुआत की। इस फाउंडेशन के जरिए अनु अग्रवाल ने डिप्रेशन के शिकार और मेंटल हेल्थ इशूज से जूझ रहे लोगों के साथ-साथ आर्थिक तंगी में रहे रहे लोगों की मदद करनी शुरू की। इस फाउंडेशन के जरिए वह ढाई लाख से ज्यादा लोगों की जिंदगी बदल चुकी हैं।

  • अनु अग्रवाल ने की ऐसे लोगों की तलाश, सुधारी उनकी जिंदगी

    अनु अग्रवाल ने की ऐसे लोगों की तलाश, सुधारी उनकी जिंदगी

    अनु अग्रवाल ने बताया था कि उन्होंने अपने फाउंडेशन से जुड़ने के लिए ऐसे लोगों को ढूंढा जो कमजोर थे। पहले बच्चों और महिलाओं को जोड़ा और फिर अन्य लोगों को। अनु अग्रवाल ने पहले खुद को योग से ठीक किया और फिर अन्य लोगों की जिंदगी में रोशनी भरने लगीं। उनकी याददाश्त वापस आने में तीन साल का वक्त लगा।

  • झुग्गियों में बच्चों को योग सिखातीं अनु अग्रवाल

    झुग्गियों में बच्चों को योग सिखातीं अनु अग्रवाल

    ​अनु अग्रवाल मुंबई की झुग्गियों में भी योग सिखाने जाती हैं। अनु अग्रवाल ने 2014 में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया था कि वह एक एनजीओ के संपर्क में आई थीं, जो मुंबई की झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों के लिए काम करता था। वह वहां बच्चों का हाल देख बहुत दुखी हो गई थीं।

  • जिंदा लाश की तरह लग रहे थे बच्चे, अनु अग्रवाल ने दिया सहारा

    ‘जिंदा लाश’ की तरह लग रहे थे बच्चे, अनु अग्रवाल ने दिया सहारा

    ​अनु अग्रवाल उसी कॉन्फ्रेंस में बताया था कि झुग्गियों में रहने वाले वो बच्चे ‘जिंदा लाश’ की तरह रह रहे थे। न तो उनमें एनर्जी थी और ना ही वो किसी चीज पर रिस्पॉन्स दे रहे थे। तब अनु अग्रवाल ने उन्हें योग सिखाने का फैसला किया और अपने फाउंडेशन के जरिए उनकी मदद की।