बिहार में नीतीश कुमार के बड़ा दांव चलने की चर्चा और क्या है सीटों का फॉर्मूला? – प्रेस रिव्यू
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ में सीटों की शेयरिंग एक बड़ी चर्चा का विषय रहा है.
बिहार में इंडिया गठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर जारी खींचतान के बीच 17:17:05:01 फॉर्मूले पर चर्चा होने की खबरें हैं.
रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं और कांग्रेस के खाते में पांच सीटें आ सकती है. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी इंडिया (एमएल) को एक सीट मिलने की संभावना है.
बिहार में 40 लोकसभा सीटे हैं और ये पार्टियां राज्य के महागठबंधन का भी हिस्सा हैं.
हालांकि माना जा रहा है कि लेफ़्ट के कुछ नेता सीट शेयरिंग के इस फॉर्मूले का विरोध कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस का कहना है कि क्या समीकरण तय होगा इसका एलान जल्द होगा क्योंकि ‘अभी बहुत देर नहीं हुई है.’
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अख़बार के अनुसार, चर्चा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 22 जनवरी को राज्य की विधानसभा को भंग कर सकते हैं. 22 जनवरी को ही अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.
माना जा रहा है कि नीतीश कुमार इस दिन ही बड़ा सियासी दांव चल सकते हैं.
अख़बार को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जेडीयू और आरजेडी के बीच सीटों के इस फॉर्मूले पर सहमति बन गई है. साल 2019 में जेडीयू ने एनडीए का हिस्सा बन कर लोकसभा की 17 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें से 16 सीट पर उसे जीत मिली थी.
वहीं बीजेपी को सभी 17 सीटों पर जीत मिली थी. एनडीए की सहयोगी पार्टी एलजेपी को भी बीते लोकसभा चुनाव में छह सीटों पर जीत मिली थी.
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इसके अलावा महाराष्ट्र से भी इंडिया गठबंधन से जुड़ी ख़बर सामने आ रही है कि यहां भी सीटों के गठबंधन पर बात लगभग तय हो गई है.
इस ख़बर के अनुसार, कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने 9 जनवरी को महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों की शेयरिंग की योजना बना ली है.
ये तीनों ही दल इंडिया गठबंधन का हिस्सा तो हैं ही साथ ही राज्य के विधानसभा चुनाव के लिए बनाए गए गठबंधन महाविकास अघाड़ी गठबंधन (एमवीए) का भी हिस्सा हैं.
मंगलवार को हुई इस बैठक में ही प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी को भी महाविकास अघाड़ी और इंडिया ब्लॉक में शामिल करने पर सहमति बनी.
अख़बार को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ज्यादातर सीटों पर व्यापक सहमति बन गई है लेकिन सात से आठ सीटों पर अभी भी मतभेद बरकरार है. एक सूत्र ने अख़बार से कहा- आने वाले दिनो में एक और बैठक कर इन मतभेदों को सुलझाने की संभावना है.
इस बैठक के बाद शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने मीडिया से कहा- “हम सभी महाविकास अघाड़ी दल के लोग मुस्कुराते हुए बाहर आए हैं. संघर्ष के इस समय में हम सभी एक साथ हैं. हम साथ रहेंगे और साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे.”
“हमने हर एक सीट पर बात की है और लगभग सीटों की शेयरिंग पर एक आम सहमति बन गयी है.”
जब उनसे पूछा गया कि किसको कितनी सीटें मिली हैं तो इस सवाल पर उन्होंने कहा- “वो जानकारी बाद में आएगी.”
वैसे तो इसे लेकर कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन ख़बर है कि कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) 18-20 सीटों पर और एनसीपी 8 से 10 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.
महाराष्ट्र के कांग्रेस प्रमुख रमेश चेनिथल्ला ने द हिंदू से कहा है, “ परेशानी की बात नहीं है और महराष्ट्र पहला राज्य होगा जहां सीटों की शेयरिंग सबसे पहले होगी. ”
कांग्रेस की राष्ट्रीय गठबंधन समिति ने उत्तर प्रदेश में सीटों के बंटवारे के लिए सपा नेता राम गोपाल यादव से भी बातचीत की.
अख़बार को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, सीटों की संख्या पर कोई चर्चा नहीं हुई क्योंकि मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में सपा के साथ सीटों की शेयरिंग ना करने से दोनों दलों के रिश्ते में खटास आई है.
मध्यप्रदेश की कई रैलियों में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुलकर कांग्रेस की निंदा की थी और इसे ‘धोखेबाज़’ पार्टी कहा था. रिश्तों में आई इन दूरियों के बीच दोनों दलों की बीच हुई ये बैठक ‘आइस-ब्रेकर’ की तरह थी यानी इस बैठक में दोनों पार्टियों के बीच फिर से बातचीत की पहल हुई है.
उत्तर प्रदेश में गठबंधन के बीच सीट शेयरिंग क्या होगी, इसकी चर्चा 12 जनवरी को कांग्रेस और सपा के बीच जौनपुर में होने वाले बैठक में होने की संभावना है.
राम गोपाल यादव से जब पत्रकारों ने ये पूछा कि क्या यूपी में इंडिया गठबंधन का हिस्सा बसपा भी होगी? तो उन्होंने जवाब दिया- “ ऐसी कोई चर्चा नहीं है. हमने मीडिया में आप लोगों के अलावा किसी से ये नहीं सुना है.”
“मंगलवार की बैठक बहुत सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और 12 जनवरी को एक और बैठक होगी. ”
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के बाद हो सकते हैं
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस कीरिपोर्ट के मुताबिक़, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव, पंचायती चुनाव और शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव इस साल लोकसभा चुनावों के बाद हो सकते हैं.
मंगलवार को जम्मू-कश्मीर की 4,892 निर्वाचित ग्राम पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया है.
ऐसे में अब शहरों के बाद केंद्र शासित प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में भी निर्वाचित जन प्रतिनिधि नहीं रहे. जम्मू-कश्मीर में साल 2019 से राज्यपाल शासन चल रहा है.
हालांकि साल 2020 में जिला विकास परिषदों के चुनाव हुए थे जिसमें आम लोगों के सीधे मतदान से प्रतिनिधियों का चुनाव हुआ था.
अख़बार को सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देश में लोकसभा चुनाव के बाद ही शहरी स्थानीय निकाय और गांवों में पंचायत के चुनाव होने की संभावना है.
जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक परिषद ने 28 दिसंबर, 2023 को ही जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम में संशोधन लागू किया जिसके तहत शहरी और ग्रामीण निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण मिलेगा.
अख़बार को एक सूत्र ने बताया, “स्थानीय चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर में ओबीसी आरक्षण नहीं दे सकता था क्योंकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. इसलिए समय रहते ये चुनाव कराना एक संवैधानिक मुद्दा था. लेकिन शीत सत्र में जब जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन बिल पास किया गया तो इसे अब यहां लागू कर दिया गया है.”
हालांकि निकाय चुनाव कराने को लेकर अभी भी कुछ चीज़ें अटकी हुई है और वो हैं कि आखिर किन सीटों को आरक्षित घोषित किया जाए. अभी ये तय नहीं किया गया है. साथ ही अभी भी राज्य के चुनाव आयोग को चुनाव कराने की शक्ति देने का मामला भी अटका हुआ है.
सूत्र ने अख़बार को बताया कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ कराना ज़रूरी नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2024 तक का समय दिया है.
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार विधानसभा चुनाव साल 2014 में हुआ था.
भारत और यूएई के बीच अहम समझौतों पर डील
के अनुसार, भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने मंगलवार को आई2यू2 ग्रुप के तहत सहयोग को आगे बढ़ाते हुए फूड प्रोसेसिंग और रिन्यूएबल एनर्जी सहित चार समझौतों को अंतिम रूप दिया है.
साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन ज़ाएद अल नाहयान ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर बातचीत की.
अबू धाबी के किंग एमबीज़ेड की गांधीनगर में चल रहे वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में आने की चर्चा है.
उनके इस दौरे को दोनों देशों के बीच होने वाले और व्यापक समझौतों और दोनों देशों के बीच निवेश संबंधों को और बेहतर करने के रूप में देखा जा रहा है.
ख़ास मेहमान-नवाज़ी दिखाते हुए खुद पीएम मोदी यूएई के किंग को लेने अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचे. उनके साथ एक रोड शो किया.
अतीत में पीएम मोदी ने अहमदाबाद में पूर्वी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इसराइली पीएम बिन्यमिन नेतन्याहू के साथ भी रोड शो किया है.