शिमला : वन रैंक वन पेंशन विसंगतियों को लेकर सांकेतिक भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व सैनिक

वन रैंक वन पेंशन पार्ट-2 की विसंगतियों को लेकर पूर्व सैनिक देशभर में लम्बे समय से संघर्ष कर रहे है। पिछले करीब 4 महीने से दिल्ली के जंतर मंतर पर पूर्व सैनिकों का धरना प्रदर्शन जारी है। खफा हुए पूर्व सैनिकों ने रविवार को देश भर में सभी जिला मुख्यालय में भूख हड़ताल करने का ऐलान किया था। हिमाचल प्रदेश में भी सभी जिला मुख्यालयों पर भूख हड़ताल की गई है।

राजधानी में भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व सैनिक एस के सहगल ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि आज हम मजबूर होकर यहां एक दिन की भूख हड़ताल पर बैठे है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पूर्व सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन योजना को कोशियारी कमीशन के मुताबिक असली प्रारूप में नहीं दिया है। पूर्व सैनिकों के साथ बेइंसाफी हुई है। केंद्र सरकार को दो साल बाद वन रैंक वन पेंशन रिवाइज करना चाहिए था जो केन्द्र सरकार ने नहीं किया है।

5 साल बाद जब रिवाइज किया गया तो ऑनरेरी कैप्टन, जेसीओस और ओआर्स की पेंशन कम कर दी गई। पेंशन बढ़ाने की बजाए कम कर दी गई जिसमे 2 हजार से लेकर 6हजार 5 सौ रूपए कम की गई। प्रतिवर्ष पूर्व सैनिकों को 72 से एक लाख रु तक का नुक्सान हो रहा है जिसे लेकर देश भर में पूर्व सैनिकों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को इस मसले को लेकर कई ज्ञापन भेजे है लेकिन इसके बाद भी इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। एक तरफ केंद्र सरकार खुद को पूर्व सैनिकों की हितैषी बताती है दूसरी तरफ इस वर्ग की बात को अनसुना किया जा रहा है।

उन्होंने साफ शब्दों में केंद्र सरकार को चेताया है कि केंद्र सरकार पूर्व सैनिकों से न टकराए देश भर में पूर्व सैनिकों की संख्या 32 लाख है और आगे उनके परिवार है। इस चीज को सरकार ध्यान रखे और रक्षा विभाग में बैठे कर्मचारियों कोआगाह करें कि वन रैंक वन पेंशन की विसंगतियों को दूर करें।