मनोज त्रिपाठी, लखनऊ। राज्यकर विभाग ने पंजाब की कंपनियों द्वारा किए गए जीएसटी पंजीकरण के फर्जीवाड़े का राजफाश किया है। इन कंपनियों के संचालकों ने पंजीकरण के लिए दूसरे लोगों के आधार कार्ड का इस्तेमाल किया था।

तीन माह पहले पंजीकृत हुई इन कंपनियों ने सरकार को 18 करोड़ रुपये का चूना भी लगा दिया है। इनके पंजीकरण रद्द कर एफआइआर दर्ज करवाने के निर्देश राज्यकर आयुक्त मिनिस्ती एस ने दिए हैं।

20 कंपनियों ने करवाया पंजीकरण

पंजाब की 20 कंपनियों ने लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, सहारनपुर व नोएडा के पतों पर अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों का पंजीकरण करवाया था। कंपनियों के संचालकों ने जीएसटी पोर्टल पर पंजीकरण के दौरान दूसरे लोगों के आधार कार्डों से संबंधित फोन नंबरों पर भेजे गए ओटीपी भी हासिल कर पंजीकरण स्वीकृत करवा लिए थे।

मौजूदा व्यवस्था में किसी भी कंपनी को जीएसटी पंजीकरण करवाते समय बाकी जानकारियों के साथ-साथ उसके संचालक का आधार कार्ड भी पोर्टल पर अपलोड करना होता है।

गतिविधियों पर नजर रखने पर खुली पोल

कंपनियों के फर्जीवाड़े की जानकारी होने पर राज्यकर आयुक्त ने एसटीएफ को मामले की जांच सौंपी थी। एसटीएफ की संयुक्त आयुक्त जैसमिन ने उपायुक्त हरिशंकर दुबे तथा मनोज दीक्षित की टीम बनाकर नई कंपनियों की गतिविधियों पर नजर रखवाई तो पोल खुल गई।

कंपनियों के ई-वे बिल तथा जियो लोकेशन निकाली गई तो पता चला कि कंपनियां पंजाब से व्यापारिक गतिविधियों को संचालित कर रही हैं, लेकिन पंजीकरण यहां पर करवाया है। इन कंपनियों ने लखनऊ में एक, सहारनपुर में सात, वाराणसी में आठ, नोएडा व गोरखपुर में दो-दो कार्यालय खोले थे, लेकिन मौके पर इनका कोई पता नहीं था।

हालैंड व अमेरिका की प्राक्सी लगाई

इसके बाद एसटीएफ ने साइबर एक्सपर्ट की मदद ली तो पता चला कि कंपनियों ने फर्जीवाड़े को छिपाने के लिए जिस कंप्यूटर से पंजीकरण किया था उसके आईपी एड्रेस पर हालैंड व अमेरिका की प्राक्सी लगा रखी थी।

पांच कार्यालयों के पंजीकरण में कंपनियों ने एक ही आधार कार्ड की जानकारी पोर्टल पर दी थी। इन्होंने 3.25 करोड़ रुपये का आईटीसी भी क्लेम कर लिया था। यह कंपनियां पंजाब के मंडी गोविंदगढ़, जालंधर व लुधियाना से संबंधित हैं।