बचपन में किसी दुकान, या स्कूल तक का सफर तय करने में हमें रास्ता याद करने के लिए दिमाग पर जोर नहीं देना पड़ता था. दिमाग कुछ और सोच रहा होता था, पर पैडल और हैंडल अपने आप काम करता था. आदत में आ जाने वाले काम को ‘आटोमेटिसिटी’ कहते हैं. ‘आटोमेटिसिटी’ में जब गाड़ी चलाते वक्त ध्यान कहीं, और चला जाता है तो लोग आंशिक या पूरी तरह से ‘एम्नेशिया’ में चले जाते हैं जिसे हाईवे हिप्नोसिस के नाम से जानते हैं. Highway Hypnosis क्या है, और अच्छी सड़कें कई बार खतरनाक एक्सीडेंट की वजह क्यों बन जाती हैं, आइए जानते हैं:
Highway Hypnosis क्या है?
हिप्नोसिस का मतलब सम्मोहन होता है. हाइवे हिप्नोसिस एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें गाड़ी पर ड्राइवर का पूरा कंट्रोल होता है. एक्सीलेटर, स्टेरिंग सब ड्राइवर के नियंत्रण में होता है. गाड़ी ठीक तरीके से चल रही होती है. लेकिन ड्राइवर को ये अंदाजा नहीं होता कि पिछले कुछ देर में वो कितना किलोमीटर गाड़ी चला चुका है, या कौन से साइन बोर्ड या माइलस्टोन बीत चुके हैं.
कुल मिलाकर ड्राइवर का ध्यान कहीं और चला जाता है. इंश्योरेंस कंपनी टाटा एआईजी के मुताबिक जब ड्राइवर गाड़ी को भारी ट्रैफिक में या शहर में चला रहा होता है तो वो बिल्कुल कंसंट्रेट होकर गाड़ी चलाता है. ट्रैफिक में ड्राइवर का दिमाग एक्टिव रहता है पर बड़े-बड़े हाईवेज पर ड्राइवर का कंसंट्रेशन हट जाता है क्योंकि हाईवेज पर कोई खास एक्टिविटी नहीं होती है. सिर्फ गाड़ियां चलती हैं. जिससे बिल्कुल एक जैसा माहौल लगता है, ऐसी स्थिति में दिमाग निष्क्रियता की ओर चला जाता है और कई बार जानलेवा हादसे का कारण बनता है.
Highway Hypnosis का पता कब चला?
अमेरिका के साइकोलॉजिस्ट GW विलियम्स ने 1963 में पहली बार हाईवे हिप्नोसिस नाम का शब्द दुनिया के सामने लाया था. इससे पहले वर्ष 1921 में भी एक आर्टिकल में इस तरह का जिक्र आ चुका था. आर्टिकल में इसे मनःस्थिति के रूप में जिक्र किया गया था. 1929 में इस मनः स्थिति पर रिसर्च किया गया और कहा गया कि गाड़ी चलाने वाले लोग खुली आंखें रखकर भी सो जाते हैं.
लगातार 3 घंटे से ऊपर गाड़ी चलाने से रोड हिप्नोसिस शुरू होता है. इससे बचने के लिए हाईवे पर गाड़ी से सफर करते वक्त चाय या कोल्ड ड्रिंक वगैरह पीते रहना चाहिए. थोड़ी बहुत देर के बाद ब्रेक ले लेना चाहिए. गाड़ी से बाहर निकल कर थोड़ा चल फिर लेने से आदमी कंसंट्रेट हो जाता है. साथ ही गाड़ी में बैठे व्यक्ति के साथ बात-चीत भी करते रहना चाहिए.
फैटीक्ड ड्राइविंग से कितना अलग है हाईवे हिप्नोसिस?
जब ड्राइवर आधी नींद में गाड़ी चलाता है, या थकान की वजह से सुस्ती में गाड़ी चलाता है तो उसे ‘फैटीक्ड’ ड्राइविंग कहते हैं. लेकिन हाईवे हिप्नोसिस में ऐसा नहीं होता. इस स्थिति में ड्राइवर बहुत जल्दी कंसंट्रेट हो जाता है. लेकिन फैटीक्ड ड्राइविंग में ड्राइवर की नींद पूरी नहीं होती है इसलिए यह ज्यादा खतरनाक स्थिति मानी जाती है.
‘हाईवे हिप्नोसिस’ होने का खतरा तब ज्यादा होता है, जब गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति के दिमाग में कुछ और बातें चलने लगती है. ड्राइवर को जब दूर-दूर तक कोई गाड़ी दिखाई नहीं देती तो वो अपने कार की स्पीड और बढ़ा देता है. इससे भी रोड हिप्नोसिस होने का खतरा होता है. एक कारण ये भी हो सकता है कि ड्राइवर लगातार अपनी पलकों को न झपकाए.
किस राज्य में सड़क हादसे सबसे ज्यादा हो रहे हैं?
रोड एक्सीडेंट से मरने वालों की संख्या लगातार पूरे देश में बढ़ रही है. चिंता की बात इसलिए है कि अच्छी सड़कों के बावजूद सड़क दुर्घटना रुक नही रही है. सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना ओवर स्पीडिंग, ड्राइवरों की लापरवाही या टायर फटने से होती है. लेकिन एक वजह हिप्नोसिस भी शामिल हो गई है. सड़क हादसे में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, वहीं दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है.
सड़क दुर्घटना के मामले में महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर है. जहां सलाना करीब 14000 मौत सड़क दुर्घटना से हो रही है. महाराष्ट्र के समृद्धि महामार्ग पर पीछले 120 दिनों में करीब 360 सड़क हादसे हो चुके हैं. जिनमें कई हादसे की वजह हिप्नोसिस बताई जा रही है. आपको याद हो तो हाल ही में 11 दिसंबर 2022 को PM मोदी ने मुंबई नागपुर सुपर एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया था.
इस एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई करीब 701 किलोमीटर है, और यह 6 लेन एक्सप्रेस-वे है. इस एक्सप्रेसवे की खूब चर्चा रही, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में एक्सप्रेसवे लोगों के लिए बहुत घातक साबित हुआ है. आंकड़ों के मुताबिक करीब 150 दिनों में 175 दुर्घटनाएं हुई हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 95 लोगों की मौत हो चुकी है.
नागपुर के प्रतिष्ठित कॉलेज विश्वेश्वरैया नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी (VNIT) ने रिसर्च में दावा किया है कि हाईवे दुर्घटना का कारण ‘ हाईवे हिप्नोसिस’ है. इस हाईवे पर किसी भी प्रकार की वेसाइट सुविधाएं यानी होटल, शौचालय, पेट्रोल पंप नहीं है जिसकी वजह से ड्राइवर हिप्नोसिस का शिकार हो जा रहे हैं.